भिलाई |
CSVTU Tender Scam News: छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU), भिलाई एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। विश्वविद्यालय में वर्ष 2020 से अब तक सुरक्षा गार्ड और साफ-सफाई का ठेका लगातार एक ही कंपनी को दिए जाने को लेकर टेंडर घोटाले के आरोप सामने आए हैं।
स्थानीय सूत्रों और कर्मचारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए टारगेट सिक्योरिटीज और टारगेट हाउसकीपिंग कंपनी को बार-बार फायदा पहुंचाया है।
एक ही कंपनी को बार-बार कैसे मिला टेंडर?
जानकारी के अनुसार,
- फरवरी 2020 में पहली बार टेंडर दिया गया
- 2021-22 में बिना प्रतिस्पर्धा के सीधे दो साल का एक्सटेंशन
- 2023 में नया टेंडर, लेकिन शर्तें ऐसी रखी गईं कि दूसरी कंपनियां बाहर हो गईं
- अब 2025 में फिर टेंडर निकाला गया है, जिसमें भी उसी कंपनी को ठेका मिलने की आशंका जताई जा रही है
आरोप है कि टेंडर की शर्तें जानबूझकर इस तरह बनाई जाती हैं, जिससे कोई अन्य कंपनी पात्र ही न रह सके।
पूर्व कुलसचिव और रिश्तेदारी पर उठे सवाल
कर्मचारियों और सूत्रों का दावा है कि यह कंपनी पूर्व कुलसचिव और उनके दामाद (जो अस्थायी कुलसचिव रह चुके हैं) की कथित चहेती कंपनी है। इसी कारण वर्षों से विश्वविद्यालय में एकाधिकार बना हुआ है।
गार्ड और सफाई कर्मचारियों का शोषण
सबसे गंभीर आरोप मैदानी कर्मचारियों के शोषण को लेकर हैं।
- सुरक्षा गार्ड और सफाई कर्मियों को पूरा वेतन नहीं दिया जाता
- सुपरवाइजर द्वारा बदसलूकी और दबाव बनाया जाता है
- कर्मचारियों से LIC के नाम पर ₹500 की जबरन कटौती की जाती है
- विरोध करने पर काम से हटाने की धमकी दी जाती है
चौंकाने वाली बात यह है कि संबंधित सुपरवाइजर खुद विश्वविद्यालय का कर्मचारी बताया जा रहा है।
शिकायतें हुईं, लेकिन कार्रवाई नहीं
कई बार कर्मचारियों ने इस पूरे मामले की लिखित शिकायतें कीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि जिम्मेदार विभागों की मौन सहमति से यह शोषण लगातार जारी है।
प्रशासन की चुप्पी, उठ रहे सवाल
यह मामला सिर्फ टेंडर प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है। यदि आरोप सही हैं, तो यह विश्वविद्यालय प्रशासन और निगरानी तंत्र की गंभीर विफलता मानी जाएगी।
अब क्या होनी चाहिए कार्रवाई?
विशेषज्ञों और कर्मचारियों की मांग है कि—
- पूरे टेंडर प्रक्रिया की उच्चस्तरीय जांच हो
- मजदूरों को पूरा और वैधानिक वेतन मिले
- जबरन कटौती पर तुरंत रोक लगे
- दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए
