छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा कदम: जशपुर में फैमिली कोर्ट और दंतेवाड़ा–सुकमा में जज आवासों का वर्चुअल भूमिपूजन

Chhattisgarh High Court Judicial Infrastructureछत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य की न्याय व्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को वर्चुअल भूमिपूजन एवं शिलान्यास समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर जशपुर में फैमिली कोर्ट भवन तथा दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा और सुकमा में न्यायाधीशों के आवासीय भवनों के निर्माण की औपचारिक शुरुआत की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने की। उन्होंने वर्चुअल माध्यम से तीनों परियोजनाओं की आधारशिला रखी।


मुख्य न्यायाधीश का संदेश: न्याय की रीढ़ है मजबूत ढांचा

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि
मजबूत न्यायिक अवसंरचना ही प्रभावी, सुलभ और जन-केंद्रित न्याय प्रणाली की रीढ़ होती है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि आधुनिक न्यायालय परिसरों के साथ-साथ न्यायाधीशों के लिए सम्मानजनक आवास उपलब्ध होने से न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ती है, बल्कि न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता को भी मजबूती मिलती है।


दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों पर विशेष फोकस

न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि जशपुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे दूरस्थ और आदिवासी जिलों में गुणवत्तापूर्ण न्यायिक अवसंरचना का विस्तार, संविधान में निहित समान न्याय तक पहुंच के सिद्धांत को साकार करता है।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था पर भरोसा और अधिक मजबूत होगा।


कार्यक्रम में ये रहे प्रमुख रूप से उपस्थित

इस वर्चुअल समारोह में कई वरिष्ठ न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए, जिनमें—

  • न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल (पोर्टफोलियो जज, जशपुर)
  • न्यायमूर्ति बिभू दत्त गुरु (पोर्टफोलियो जज, दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा)
  • रजिस्ट्रार जनरल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश
  • बार एसोसिएशन के पदाधिकारी
  • जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और न्यायालय कर्मचारी

कार्यक्रम की शुरुआत जशपुर फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश श्री राकेश बिहारी घोरे के स्वागत भाषण से हुई, जबकि समापन दंतेवाड़ा के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री संतोष कुमार आदित्य के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


न्याय व्यवस्था को मिलेगा दीर्घकालिक लाभ

इस अवसर पर प्रस्तावित भवनों और आवासीय परिसरों का एक संक्षिप्त वीडियो प्रस्तुतीकरण भी दिखाया गया, जिससे परियोजनाओं की रूपरेखा स्पष्ट हुई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल न्यायिक अधिकारियों की कार्य स्थितियों को बेहतर बनाएगी, बल्कि समयबद्ध और प्रभावी न्याय की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी।

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