दंतेवाड़ा, 18 दिसंबर 2025।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “हर घर नल से जल” के सपने की जमीनी हकीकत छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में सवालों के घेरे में है। हालात इतने चिंताजनक हैं कि सत्ताधारी भाजपा विधायक के घर तक पानी नहीं पहुंच पाया है।
दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक चैतराम अटामी के पैतृक गांव कासोली में जल जीवन मिशन के तहत नल तो लगाए गए, लेकिन तीन महीने बीतने के बाद भी नलों से एक बूंद पानी नहीं निकला। यह स्थिति पूरे जिले में गहराते Dantewada Water Crisis की तस्वीर पेश करती है।
🚰 विधायक के घर के बाहर लगा नल, लेकिन पानी नदारद
NDTV की टीम जब विधायक चैतराम अटामी के गृह ग्राम कासोली पहुंची, तो हालात चौंकाने वाले मिले।
विधायक के घर के मुख्य दरवाजे पर जल जीवन मिशन का नल लगा हुआ है, लेकिन वह सिर्फ दिखावे का प्रतीक बनकर रह गया है।
विधायक के सगे भाई सोनकू राम बताते हैं—
“अधिकारी आते हैं, निरीक्षण करते हैं और चले जाते हैं। नल लगे तीन महीने से ज्यादा हो गए, लेकिन पानी कब आएगा, कोई नहीं बताता।”
🏘️ 3500 आबादी वाला गांव अब भी प्यासा
गांव के सरपंच शैलेश अटामी ने योजना की गंभीर तकनीकी खामियों की ओर इशारा किया।
उन्होंने बताया कि—
- पानी की टंकी गांव के निचले हिस्से में बना दी गई
- जबकि अधिकांश घर ऊंचाई पर बसे हुए हैं
- इस कारण पानी ऊपर तक पहुंच ही नहीं पा रहा
करीब 3500 की आबादी वाला कासोली गांव आज भी नल से पानी आने का इंतजार कर रहा है।
⚙️ गलत प्लानिंग बनी सबसे बड़ी बाधा
ग्रामीणों का कहना है कि टंकी का स्थान शुरू से ही गलत चुना गया।
अब अधिकारी सोलर पंप लगाने की बात कर रहे हैं, लेकिन—
- 5 महीने बीत चुके हैं
- काम अभी भी अधूरा है
- हालात जस के तस बने हुए हैं
यह स्थिति जल जीवन मिशन की योजना और क्रियान्वयन के बीच की खाई को उजागर करती है।
🗣️ विधायक भी मान रहे अधिकारियों की लापरवाही
अपने ही गांव में पानी न पहुंच पाने को लेकर विधायक चैतराम अटामी ने भी विभागीय कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की है।
उन्होंने कहा कि—
“अधिकारी काम में बेहद देरी कर रहे हैं। सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, समाधान नहीं।”
विधायक ने इस संबंध में कलेक्टर से भी शिकायत की है, लेकिन फिलहाल गांव की हजारों आबादी पानी के लिए संघर्ष कर रही है।
📊 आंकड़ों और हकीकत के बीच फर्क
दंतेवाड़ा में Dantewada Water Crisis के पीछे कई कारण सामने आए हैं—
- ठेकेदारों का भुगतान अटका
- फंड की कमी
- तकनीकी गलतियां
- निगरानी की कमजोर व्यवस्था
वहीं, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रभारी कार्यपालन अभियंता निखिल कंवर का कहना है कि—
“विधायक के गांव में तकनीकी दिक्कतें हैं, जिन्हें जल्द दूर कर पानी की सप्लाई शुरू की जाएगी।”
⏳ 2024 की डेडलाइन, अब 2028 तक बढ़ी
गौरतलब है कि जल जीवन मिशन को 2024 तक पूरा किया जाना था, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसकी समयसीमा अब बढ़ाकर 2028 कर दी गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि—
- क्या तब तक गांवों की प्यास बुझेगी?
- या फिर नल सिर्फ आंकड़ों तक ही सीमित रह जाएंगे?
🔍 क्यों अहम है यह मामला
विधायक के घर तक पानी न पहुंचना सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि यह पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।
यह मामला बताता है कि योजनाओं की सफलता सिर्फ उद्घाटन से नहीं, जमीनी क्रियान्वयन से तय होती है।
