SHANTI Bill 2025 पास: लोकसभा में परमाणु ऊर्जा कानून को मंजूरी, विपक्ष ने जताई निजीकरण और सुरक्षा पर चिंता

📍 नई दिल्ली | संसद

लोकसभा ने बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India (SHANTI) Bill, 2025 को पारित कर दिया। विपक्षी दलों की ओर से इसे संसदीय समिति को भेजने की मांग के बावजूद सरकार ने विधेयक को मंजूरी दिला दी। अब यह बिल राज्यसभा में चर्चा के लिए जाएगा, जहां से पारित होने के बाद यह कानून बन सकता है।


क्या है SHANTI Bill 2025 का मकसद

सरकार के अनुसार, SHANTI Bill का उद्देश्य भारत में परमाणु ऊर्जा के विस्तार, निजी क्षेत्र की भागीदारी, और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को तेज़ करना है। यह बिल 2070 तक भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है।


निजी कंपनियों की एंट्री पर उठा सवाल

बिल पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सवाल उठाया कि क्या यह सिर्फ संयोग है कि निजी क्षेत्र को परमाणु ऊर्जा में प्रवेश देने वाला कानून उस समय लाया गया, जब अडानी समूह ने इस सेक्टर में रुचि दिखाई।

इस पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस कानून का किसी भी कंपनी से कोई संबंध नहीं है और इस तरह के आरोप “संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं।”


सबसे बड़ा विवाद: सप्लायर की जिम्मेदारी हटाने पर

विपक्ष का सबसे बड़ा विरोध उस प्रावधान को लेकर रहा, जिसमें Civil Liability for Nuclear Damage Act, 2010 की वह धारा हटाई गई है, जो किसी परमाणु दुर्घटना की स्थिति में सप्लायर को जिम्मेदार ठहराने का अधिकार देती थी।

मनीष तिवारी ने कहा—

“अगर कोई विदेशी सप्लायर खराब उपकरण देता है और दुर्घटना होती है, तो उसकी जवाबदेही क्यों नहीं होनी चाहिए?”


सरकार का तर्क: तकनीक बदली, जोखिम बदला

मंत्री जितेंद्र सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि—

  • 2010 के मुकाबले आज तकनीक पूरी तरह बदल चुकी है
  • Small Modular Reactors (SMR) जैसे सुरक्षित विकल्प अब मौजूद हैं
  • घनी आबादी वाले इलाकों के लिए नए डिजाइन तैयार किए जा रहे हैं
  • जोखिम पहले से अलग और कम हुआ है

इसी कारण कानून में बदलाव ज़रूरी था।


₹3,000 करोड़ की देनदारी सीमा पर सवाल

एनसीपी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ऑपरेटर की अधिकतम देनदारी ₹3,000 करोड़ तय किए जाने पर गंभीर सवाल उठाए।

शशि थरूर ने उदाहरण देते हुए कहा—

  • फुकुशिमा हादसा: $182 अरब से अधिक खर्च
  • चेर्नोबिल: करीब $700 अरब का नुकसान

इसके मुकाबले ₹3,000 करोड़ की सीमा बेहद कम है।


सरकार का जवाब: बीमा और फंड का सहारा

सरकार ने स्पष्ट किया कि—

  • ₹3,000 करोड़ सिर्फ ऑपरेटर की अधिकतम देनदारी है
  • इसके बाद Nuclear Insurance Pool
  • और नया प्रस्तावित Nuclear Liability Fund
  • साथ ही अंतरराष्ट्रीय CSC Convention से सहायता मिलेगी

यह “ग्रेडेड लायबिलिटी सिस्टम” निवेश को बढ़ावा देने के लिए जरूरी बताया गया।


भारत की परमाणु ऊर्जा योजना

वर्तमान में भारत की कुल बिजली क्षमता में परमाणु ऊर्जा—

  • 1.5% इंस्टॉल्ड कैपेसिटी
  • 3% वास्तविक उत्पादन

सरकार का लक्ष्य है—

  • 2047 तक 100 GW परमाणु क्षमता
  • अभी केवल 8.8 GW
  • बजट में घोषित ₹20,000 करोड़ की Nuclear Mission
  • Small Modular Reactors और 220 MW PHWR पर फोकस

SHANTI Bill 2025 को सरकार भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए अहम कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे निजीकरण, सुरक्षा और जवाबदेही से समझौता मान रहा है। अब सबकी निगाहें राज्यसभा पर टिकी हैं।

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