रायपुर।
Chhattisgarh forest cutting controversy: छत्तीसगढ़ विधानसभा में जंगलों की कटाई का मुद्दा जोरदार तरीके से गूंजा। आदिवासी बहुल सरगुजा और बस्तर संभाग में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के आरोपों को लेकर कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए। मामला इतना गरमाया कि सदन में हंगामे के बाद कई कांग्रेस विधायक निलंबित कर दिए गए।
🔔 शून्यकाल में उठा वन कटाई का मुद्दा
शून्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता चरण दास महंत, विधायक उमेश पटेल और कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की।
कांग्रेस का आरोप था कि—
- सरगुजा, हसदेव अरण्य, तमनार और बस्तर में बड़े स्तर पर पेड़ों की कटाई हो रही है
- कई क्षेत्रों में इसके खिलाफ सड़क जाम और जन आंदोलन हुए
- कोयला खदानों को फर्जी जनसुनवाई के आधार पर मंजूरी दी गई
⚠️ स्थगन प्रस्ताव खारिज, सदन में हंगामा
जब विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने कार्य स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार किया, तो कांग्रेस विधायक नाराज हो गए। वे सदन के बीचोंबीच पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी।
परिणामस्वरूप, अध्यक्ष ने अनुशासनहीनता के आरोप में कई कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया।
🌳 “लाखों पेड़ कटे, हसदेव अरण्य खतरे में”
कांग्रेस विधायकों ने दावा किया कि—
- हसदेव अरण्य में पहले ही लाखों पेड़ों की कटाई हो चुकी है
- इससे जैव विविधता, जल स्रोत और हाथी कॉरिडोर गंभीर खतरे में हैं
- मानव-हाथी संघर्ष और पानी की किल्लत बढ़ने की आशंका है
हसदेव अरण्य को कांग्रेस ने एक बार फिर “छत्तीसगढ़ का फेफड़ा” बताते हुए उसके संरक्षण की मांग दोहराई।
🏭 तमनार और कांकेर में भी आरोप
विपक्ष ने रायगढ़ जिले के तमनार और कांकेर के भानुप्रतापपुर क्षेत्र में भी वन और राजस्व भूमि पर बड़े पैमाने पर पेड़ कटाई का आरोप लगाया।
कांग्रेस का कहना है कि 61 ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने फर्जी ग्रामसभा और जनसुनवाई को लेकर प्रशासन से शिकायत की थी।
🌱 वन मंत्री का जवाब: “वन क्षेत्र बढ़ा है”
आरोपों पर जवाब देते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि
विष्णु देव साय सरकार वन, वन्यजीव, आदिवासी और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), देहरादून के आंकड़े सदन में रखते हुए बताया कि—
- छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में 94.75 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है
- ‘वनों के बाहर पेड़ों’ के क्षेत्र में 702 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो देश में सबसे अधिक है
🔍 विकास बनाम पर्यावरण की बहस
यह पूरा घटनाक्रम एक बार फिर विकास बनाम पर्यावरण की बहस को सामने ले आया है।
जहां सरकार आंकड़ों के जरिए संतुलन का दावा कर रही है, वहीं विपक्ष जमीन पर हालात अलग होने की बात कह रहा है।
