नारायणपुर, 16 दिसंबर 2025।
Narayanpur farmers protest: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में रेलवे पटरी विस्तार परियोजना अब विकास से अधिक विवाद का कारण बनती जा रही है। जिस परियोजना को क्षेत्र के विकास की नई उम्मीद माना जा रहा था, वही अब किसानों के लिए आजीविका और अस्तित्व की लड़ाई बन गई है।
🚜 कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान, प्रशासन को चेतावनी
मंगलवार को बड़ी संख्या में प्रभावित किसान और ग्रामीण कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान किसानों का गुस्सा साफ नजर आया। किसानों ने दो टूक कहा कि यदि जल्द उनकी मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया, तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
📉 पुराने मुआवजे पर नाराजगी
किसानों का आरोप है कि—
- उन्हें 2019-20 की पुरानी सरकारी दरों पर मुआवजा दिया जा रहा है
- जबकि वर्तमान में जमीन की बाजार कीमत कई गुना बढ़ चुकी है
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि रेलवे लाइन जिन अन्य जिलों से गुजर रही है, वहां किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा मिला है, लेकिन नारायणपुर के किसानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
📄 ज्ञापन में रखी गईं तीन प्रमुख मांगें
कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में किसानों ने साफ तौर पर तीन प्रमुख मांगें रखीं—
- भूमि अधिग्रहण का मुआवजा वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार दिया जाए
- प्रत्येक प्रभावित परिवार के एक सदस्य को रेलवे में सरकारी नौकरी मिले
- अधिग्रहित जमीन के बदले किसानों को खेती के लिए वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराई जाए
🏛️ प्रशासन का आश्वासन, लेकिन किसानों का अल्टीमेटम
नारायणपुर कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगई ने किसानों को उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। हालांकि किसानों का कहना है कि आश्वासन काफी नहीं हैं। यदि समय रहते निर्णय नहीं हुआ, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
⚖️ विकास बनाम किसान हित
यह मामला अब विकास और किसान हितों के संतुलन का बड़ा सवाल बन गया है। रेलवे परियोजना से क्षेत्र को नई कनेक्टिविटी मिलेगी, लेकिन यदि किसानों को उचित मुआवजा और पुनर्वास नहीं मिला, तो असंतोष और बढ़ सकता है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन किस तरह विकास परियोजना और किसानों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाता है।
