अंबिकापुर, 16 दिसंबर 2025।
Lingoh Ghotul Mandari dance success: छत्तीसगढ़ की जनजातीय लोक कला को एक बार फिर राष्ट्रीय पहचान मिली है। सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर में आयोजित राज्य स्तरीय शहीद वीर नारायण सिंह स्मृति लोक कला महोत्सव में कोंडागांव जिले के लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया।
🎭 मंच पर जीवंत हुई जनजातीय परंपरा
लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल की प्रस्तुति ने मंच पर मौजूद दर्शकों और निर्णायक मंडल को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पारंपरिक वेशभूषा, मांदरी वाद्य की गूंजती थाप और अनुशासित समूह नृत्य ने जनजातीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।
यह उपलब्धि Lingoh Ghotul Mandari dance success की एक प्रेरक मिसाल बन गई है।
🇮🇳 राष्ट्रपति के करकमलों से मिला सम्मान
इस भव्य समारोह की मुख्य अतिथि देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु रहीं।
उन्होंने स्वयं प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले नृत्य दल को सम्मानित किया।
राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिलना कलाकारों के लिए गौरव और जीवन का अविस्मरणीय क्षण बन गया।
🏆 जिला स्तर से राज्य मंच तक का सफर
उल्लेखनीय है कि लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने इससे पहले जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भी प्रथम स्थान हासिल किया था।
इसी उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर दल का चयन राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ, जहां उन्होंने जिले का नाम पूरे प्रदेश में रोशन किया।
🗣️ कलेक्टर ने दी बधाई
कोंडागांव कलेक्टर श्रीमती नूपुर राशि पन्ना ने नृत्य दल को शुभकामनाएं देते हुए कहा—
“लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और अनुशासन से कोंडागांव जिले को गौरवान्वित किया है। यह सफलता हमारे जिले की समृद्ध जनजातीय कला-संस्कृति को दर्शाती है।”
👩🎤 कलाकार की जुबानी खुशी
नृत्य दल की सदस्य आरती नेताम, निवासी हरवेल ने भावुक होते हुए कहा—
“यह मुकाम वर्षों की मेहनत और संघर्ष का परिणाम है। पंचायत स्तर से शुरू हुई हमारी यात्रा आज राज्य स्तरीय मंच तक पहुँची। राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिलना मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है।”
उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा मिले सहयोग और अवसरों के लिए भी आभार व्यक्त किया।
🌿 लोक कला को मिली नई ऊंचाई
लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल की यह सफलता—
- युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा है
- कोंडागांव जिले की लोक कला पहचान को मजबूत करती है
- जनजातीय संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक ले जाती है
यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ की लोक कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए गर्व का विषय मानी जा रही है।
