रायपुर, 16 दिसंबर 2025।
crop diversification success story: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के ग्राम जेवरा में एक किसान ने पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर खेती की दिशा ही बदल दी। प्रगतिशील कृषक श्री दिलीप सिन्हा ने ग्रीष्मकालीन धान की खेती छोड़कर फसल विविधीकरण को अपनाया और कम पानी, कम लागत में लगभग 25 लाख रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर लिया।
🌾 धान से मोहभंग, बदलाव का साहसिक फैसला
क्षेत्र में वर्षों से ग्रीष्मकालीन धान की खेती प्रचलित रही है।
लेकिन इसमें—
- अत्यधिक पानी
- अधिक बिजली
- उर्वरक और श्रम की भारी लागत
लगती है।
बढ़ती लागत और घटते मुनाफे को देखते हुए दिलीप सिन्हा ने खेती के स्वरूप में बदलाव का साहसिक निर्णय लिया।
🌱 दलहन-तिलहन की ओर बढ़ा कदम
कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में उन्होंने ग्रीष्म ऋतु में—
- मूंग और उड़द (दलहन)
- सरसों और तिल (तिलहन)
की खेती शुरू की।
यह crop diversification success story बताती है कि सही फसल चयन से खेती लाभकारी बन सकती है।
💧 कम पानी, कम लागत और बेहतर दाम
दलहन-तिलहन फसलों की प्रमुख विशेषताएं रहीं—
- कम पानी में अच्छी पैदावार
- रोग-कीट का कम प्रकोप
- कम लागत
- बाजार में बेहतर मूल्य
इसके साथ ही दलहनी फसलों से मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार हुआ, जो टिकाऊ कृषि के लिए बेहद जरूरी है।
🔬 वैज्ञानिक तकनीकों ने बढ़ाया मुनाफा
दिलीप सिन्हा ने खेती में—
- उन्नत किस्मों का चयन
- बीज उपचार
- संतुलित उर्वरक प्रबंधन
- ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई
- समय पर निराई-गुड़ाई
- फसल सुरक्षा और विपणन
जैसी वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाया।
इन प्रयासों से लागत में कमी आई और उत्पादन के साथ-साथ आय में भी बड़ा इजाफा हुआ।
🌍 टिकाऊ कृषि की ओर मजबूत कदम
श्री दिलीप सिन्हा की सफलता यह साबित करती है कि—
- धान के विकल्प मौजूद हैं
- फसल विविधीकरण आर्थिक रूप से फायदेमंद है
- जल संरक्षण और मिट्टी सुधार संभव है
यह मॉडल किसानों को कम संसाधनों में अधिक लाभ कमाने की राह दिखाता है।
