नई दिल्ली | पर्यावरण और न्याय रिपोर्ट
Aravalli Hills News: Aravalli Hills को लेकर एक बड़ा पर्यावरणीय विवाद सामने आया है।
20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को मंजूरी देते हुए अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा स्वीकार कर ली। इस फैसले के बाद पर्यावरण विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों की चिंता गहराती जा रही है।
क्या है अरावली की नई परिभाषा
समिति की सिफारिशों के अनुसार—
- जिस भू-आकृति की ऊंचाई
- आसपास की जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक होगी
- उसकी ढलानों और आसपास का क्षेत्र
उसे अरावली पहाड़ियों का हिस्सा माना जाएगा।
हालांकि, समिति ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस मानक को लागू करने से अरावली की 90% से अधिक पहाड़ियां परिभाषा से बाहर हो सकती हैं।
FSI के आंकड़े क्या कहते हैं
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार,
भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के एक आंतरिक आकलन में सामने आया है कि—
- राजस्थान के 15 जिलों में
- 20 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली
- कुल 12,081 अरावली पहाड़/टीलें हैं
लेकिन इनमें से केवल 1,048 (8.7%) ही 100 मीटर से अधिक ऊंची हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि 20 मीटर ऊंचाई वाली पहाड़ियां भी हवा को रोकने वाली प्राकृतिक ढाल (Wind Barrier) का काम करती हैं, जो NCR की वायु गुणवत्ता के लिए बेहद अहम है।
पुराने मानकों को क्यों किया गया नजरअंदाज
2010 से Forest Survey of India
अरावली को परिभाषित करने के लिए 3-डिग्री ढलान का मानक अपनाता रहा है।
2024 में बनी एक तकनीकी समिति ने सुझाव दिया था कि—
- कम से कम 4.57 डिग्री ढलान
- और 30 मीटर ऊंचाई
को अरावली की पहचान का आधार बनाया जाए, जिससे लगभग 40% अरावली क्षेत्र सुरक्षित रह सकता था।
इसके बावजूद, पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में 100 मीटर ऊंचाई वाली परिभाषा ही पेश की।
विशेषज्ञ क्यों हैं चिंतित
पर्यावरण विशेषज्ञों को आशंका है कि
Aravalli Hills definition को लेकर यह फैसला केवल खनन तक सीमित नहीं रहेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार—
- NCR रीजनल प्लान 2041 अभी अंतिम रूप में नहीं है
- सदस्य राज्य इस फैसले का हवाला देकर
- रियल एस्टेट और प्लानिंग में भी यही परिभाषा लागू कर सकते हैं
‘यह बड़े खतरे की शुरुआत है’
पूर्व वन संरक्षक आरपी बलवान का कहना है—
“यह बड़े खतरे की शुरुआत होगी। गुड़गांव और फरीदाबाद में अरावली संरक्षण के खिलाफ काम करने वाली ताकतें इस परिभाषा का इस्तेमाल कर रियल एस्टेट गतिविधियों को बढ़ावा देंगी।”
उनके अनुसार—
- गुड़गांव की 95%
- और फरीदाबाद की 90%
अरावली पहाड़ियां इस परिभाषा से बाहर हो जाएंगी।
‘अरावली लगभग मिट जाएगी’
हरियाणा के सेवानिवृत्त वन संरक्षक एमडी सिन्हा ने इसे
“अवैज्ञानिक और तर्कहीन” करार दिया।
उन्होंने कहा—
“दिल्ली में 100 मीटर से ऊपर कोई क्षेत्र ही नहीं है। अगर यही परिभाषा लागू हुई, तो NCR में अरावली लगभग खत्म हो जाएगी।”
उन्होंने सवाल उठाया कि—
क्या हिमालय, शिवालिक या गंगा को भी ऐसे मनमाने पैमानों से परिभाषित किया जा सकता है?
निष्कर्ष
Aravalli Hills definition पर सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी ने एक बार फिर
👉 विकास बनाम पर्यावरण संरक्षण
की बहस को केंद्र में ला दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस परिभाषा को अन्य नीतियों में भी अपनाया गया, तो
- NCR की हवा
- जैव विविधता
- और प्राकृतिक सुरक्षा
गंभीर खतरे में पड़ सकती है।
