नई दिल्ली |
Sonam Wangchuk NSA case: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के NSA मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लेते हुए सुनवाई 7 जनवरी 2026 तक के लिए टाल दी है।
यह याचिका उनकी पत्नी गीतांजलि जे अंगमो द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें वांगचुक की हिरासत को अवैध और मनमाना बताया गया है।
समय की कमी के कारण टली सुनवाई
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन वी अंजारिया की पीठ ने सोमवार को कहा कि समयाभाव के कारण इस मामले पर विस्तार से सुनवाई संभव नहीं हो पाई, इसलिए इसे जनवरी 2026 तक स्थगित किया जाता है।
याचिका में हिरासत को बताया गया असंवैधानिक
याचिका में कहा गया है कि Sonam Wangchuk NSA case में जारी हिरासत आदेश—
- पुराने और अप्रासंगिक FIR पर आधारित है
- आरोप अस्पष्ट और अनुमान पर आधारित हैं
- और इसका किसी तात्कालिक खतरे से कोई सीधा संबंध नहीं है
याचिका के अनुसार, यह हिरासत मौलिक अधिकारों और संवैधानिक प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन है।
पहले भी टल चुकी है सुनवाई
इससे पहले—
- 24 नवंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र और लद्दाख प्रशासन की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था
- 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन से जवाब तलब किया था
लद्दाख हिंसा के बाद हुई थी गिरफ्तारी
गौरतलब है कि सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था।
यह गिरफ्तारी लेह में हुए उस आंदोलन के दो दिन बाद हुई, जिसमें—
- लद्दाख को राज्य का दर्जा
- और छठी अनुसूची में शामिल करने
की मांग के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत और 90 से अधिक लोग घायल हुए थे।
सरकार ने आरोप लगाया था कि वांगचुक ने हिंसा को उकसाया।
पत्नी का दावा: हिंसा से कोई संबंध नहीं
याचिका में गीतांजलि अंगमो ने साफ कहा है कि 24 सितंबर की हिंसा का सोनम वांगचुक से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने बताया कि वांगचुक ने खुद सोशल मीडिया पर हिंसा की निंदा की थी और कहा था कि—
“हिंसा लद्दाख की शांतिपूर्ण तपस्या और पांच वर्षों के संघर्ष को विफल कर देगी।”
अंगमो के अनुसार, वह दिन वांगचुक के जीवन का सबसे दुखद दिन था।
तीन दशक का योगदान, फिर भी हिरासत?
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह अकल्पनीय है कि—
- तीन दशकों से
- राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
- शिक्षा, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के लिए पहचाने जाने वाले व्यक्ति
को अचानक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया जाए।
क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA)?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत—
- केंद्र या राज्य सरकार
- किसी व्यक्ति को
- भारत की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा मानते हुए
अधिकतम 12 महीने तक हिरासत में रख सकती है, हालांकि इसे पहले भी रद्द किया जा सकता है।
Sonam Wangchuk NSA case अब 7 जनवरी 2026 को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुना जाएगा।
इस मामले पर देशभर की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह नागरिक स्वतंत्रता, असहमति और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन से जुड़ा एक अहम मामला माना जा रहा है।
