National Lok Adalat Durg: नेशनल लोक अदालत में 10 लाख से अधिक मामलों का निराकरण, रिश्ते भी जुड़े

दुर्ग, 14 दिसंबर 2025।
न्याय को सरल, सुलभ और संवेदनशील बनाने की दिशा में National Lok Adalat Durg ने एक बार फिर अपनी प्रभावी भूमिका साबित की है।
शनिवार को जिला न्यायालय दुर्ग सहित विभिन्न न्यायिक संस्थानों में वर्ष 2025 की चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।


⚖️ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर आयोजन

यह आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार तथा
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में हुआ।

कार्यक्रम का संचालन
प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में किया गया।


🪔 माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन से शुभारंभ

नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ
न्यायिक भातृत्व की भावना के साथ
व्यवहार न्यायाधीश श्री सजल जैन द्वारा माँ सरस्वती के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।

इस अवसर पर—

  • कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश
  • सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
  • जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी
  • बैंक अधिकारी, न्यायाधीश और अधिवक्ता
    उपस्थित रहे।

🧑‍⚖️ 32 खंडपीठों में हुआ मामलों का निराकरण

National Lok Adalat Durg के तहत कुल 32 खंडपीठों का गठन किया गया, जिनमें—

  • जिला न्यायालय दुर्ग
  • कुटुंब न्यायालय
  • व्यवहार न्यायालय (भिलाई-3, पाटन, धमधा)
  • किशोर न्याय बोर्ड
  • श्रम न्यायालय
  • स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं)
  • उपभोक्ता फोरम व राजस्व न्यायालय

शामिल रहे।


🤝 सौहार्द से सुलझे दांडिक, सिविल और पारिवारिक विवाद

लोक अदालत में—

  • दांडिक प्रकरण
  • सिविल विवाद
  • पारिवारिक मामले
  • मोटर दुर्घटना दावा
  • चेक अनादरण
  • बैंक, विद्युत व दूरसंचार प्री-लिटिगेशन केस

का आपसी समझौते के आधार पर त्वरित निराकरण किया गया।

यहाँ वर्षों से चले आ रहे विवाद मिनटों में सुलझते नजर आए, जहाँ न कोई हार हुई और न जीत—सिर्फ समाधान।


📊 10 लाख से अधिक मामलों का निपटारा, करोड़ों की समझौता राशि

वर्ष 2025 की अंतिम National Lok Adalat Durg में—

  • 21,610 न्यायालयीन प्रकरण
  • 9,82,276 प्री-लिटिगेशन प्रकरण

का निराकरण किया गया।

🔹 कुल समझौता राशि:
572.22 करोड़ से अधिक

🔹 बैंक, विद्युत और दूरभाष मामलों में
41 लाख से अधिक की समझौता राशि तय हुई।


❤️ जब कानून बना रिश्तों का सेतु

नेशनल लोक अदालत में कई ऐसे मामले भी सामने आए जहाँ—

  • घरेलू हिंसा
  • पारिवारिक विवाद
  • पति-पत्नी के मतभेद
  • जेठानी-देवरानी विवाद

आपसी संवाद और समझाइश से समाप्त हुए।

कई परिवारों में टूटता विश्वास फिर से जुड़ा, और दंपतियों ने साथ रहने का निर्णय लिया।


🩸 रक्तदान और स्वास्थ्य जांच से सामाजिक संदेश

लोक अदालत के साथ-साथ—

  • निःशुल्क रक्तदान शिविर
  • स्वास्थ्य जांच शिविर

का आयोजन किया गया।

इसके अलावा—

  • गुरुद्वारा समिति के सहयोग से निःशुल्क भोजन व्यवस्था
  • केंद्रीय जेल दुर्ग द्वारा जेल उत्पादों की प्रदर्शनी

ने आयोजन को सामाजिक सरोकार से जोड़ा।


🔍 निष्कर्ष

National Lok Adalat Durg ने यह सिद्ध कर दिया कि
लोक अदालतें सिर्फ कानूनी विवाद नहीं सुलझातीं,
बल्कि रिश्तों को जोड़ती हैं, बच्चों का भविष्य सुरक्षित करती हैं और समाज में विश्वास बहाल करती हैं।

यही न्याय की असली भावना है—
संवेदनशील, सुलभ और समाधानकारी।

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