सतना।
सरकारी अस्पतालों को आम लोगों के लिए राहत का केंद्र माना जाता है, लेकिन जब वहीं संवेदनहीनता और अमानवीय व्यवहार देखने को मिले, तो व्यवस्था पर सवाल उठना लाज़मी हो जाता है।
Satna District Hospital से जुड़ी एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत उजागर कर दी है।
🚑 सड़क हादसे के बाद जिला अस्पताल पहुंचा घायल मरीज
Satna District Hospital News: रामनगर क्षेत्र में हुए सड़क हादसे में कमलेश रावत गंभीर रूप से घायल हो गए।
हादसे में उनका पैर टूट गया था। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें 108 एंबुलेंस के जरिए सतना जिला अस्पताल रेफर किया गया।
🤢 एंबुलेंस में बिगड़ी तबीयत, हो गईं उल्टियां
एंबुलेंस से अस्पताल लाते समय घायल मरीज की तबीयत और बिगड़ गई।
रास्ते में उन्हें उल्टियां हो गईं, जिससे एंबुलेंस गंदी हो गई।
यह स्थिति किसी भी आपातकालीन सेवा में सामान्य मानी जाती है, लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया।
😔 मरीज की पत्नी से धुलवाई गई एंबुलेंस
जैसे ही एंबुलेंस सतना जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर पहुंची,
आरोप है कि एंबुलेंस चालक ने घायल मरीज की पत्नी से ही एंबुलेंस धुलवाने का काम करवा दिया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह पूरा घटनाक्रम अस्पताल के मुख्य द्वार पर खुलेआम होता रहा,
लेकिन मौजूद किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने हस्तक्षेप नहीं किया।
⚠️ नियमों की खुली अवहेलना
108 एंबुलेंस सेवा के तहत वाहनों की सफाई के लिए अलग से सरकारी बजट निर्धारित है।
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि—
- मरीज या उसके परिजनों से कोई काम नहीं कराया जाएगा
- सफाई की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की होगी
इसके बावजूद यह घटना नियमों का सीधा उल्लंघन मानी जा रही है।
🏥 प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
Satna District Hospital में सामने आई इस घटना ने
अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि ऐसी घटनाएं मुख्य गेट पर हो सकती हैं,
तो भीतर की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
📌 मानवता बनाम व्यवस्था
यह मामला केवल एंबुलेंस सफाई का नहीं,
बल्कि मानव गरिमा और संवेदनशीलता से जुड़ा है।
एक घायल व्यक्ति दर्द से जूझ रहा था
और उसकी पत्नी से सेवा के बदले काम करवाया गया—
यही इस घटना की सबसे पीड़ादायक सच्चाई है।
Satna District Hospital एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि
क्या सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं सिर्फ ढांचे तक सीमित रह गई हैं?
या फिर मरीज की पीड़ा और सम्मान भी व्यवस्था की जिम्मेदारी है?
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में
जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई करता है।
