राज्य सरकार ने Chhattisgarh New Guideline Rates 2025 को पूरे प्रदेश में लागू कर दिया है। 20 नवंबर 2025 से प्रभावी इन नई दरों ने आठ वर्षों बाद शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पनपी भारी विसंगतियों को दूर कर दिया है।
यह संशोधन “छत्तीसगढ़ गाइडलाइन दरों का निर्धारण नियम, 2000” के तहत केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड, रायपुर द्वारा अनुमोदित है और वर्ष 2018-19 के बाद पहली बार पूरे प्रदेश में एकसमान तरीके से संशोधन किया गया है।
बाजार मूल्य और गाइडलाइन मूल्य के अंतर को दूर करने का बड़ा कदम
पिछले कई वर्षों में भूमि के वास्तविक बाजार मूल्य में भारी वृद्धि हुई, लेकिन गाइडलाइन दरें लगभग स्थिर रहीं। इस कारण आम लोगों, किसानों, निवेशकों और संपत्ति खरीदारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
नई दरें इस अंतर को पाटने की दिशा में राज्य सरकार का एक महत्वपूर्ण और पारदर्शी निर्णय हैं।
शहरी क्षेत्रों में कंडिकाओं की संख्या घटी, मूल्यांकन हुआ पारदर्शी
पहले एक ही वार्ड में 10–12 कंडिकाएँ होने से संपत्ति का मूल्यांकन उलझन भरा और असमान हो जाता था। कई कंडिकाएँ तो वास्तविक स्थिति में अस्तित्वहीन थीं।
नई गाइडलाइन दरों में एक समान प्रकृति के क्षेत्रों को मिलाकर इसे सरल बनाया गया है।
कोण्डागांव का उदाहरण:
पहले 22 वार्डों में 145 कंडिकाएँ, अब सिर्फ 30 कंडिकाएँ
फरसगांव में 49 से घटकर 15
केशकाल में 45 से घटकर 15
इस कदम से नागरिकों को अब अपने क्षेत्र के वास्तविक बाजार मूल्य की स्पष्ट और एकरूप समझ मिलेगी।
एनएच-30 के दोनों ओर दरों में सुधार—विसंगतियों का अंत
कोण्डागांव और केशकाल जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के किनारे बसे वार्डों में भारी अंतर देखा जा रहा था।
उदाहरण:
पुराने रेट: 7,800 से 10,850 रुपये प्रति वर्गमीटर
नई एकीकृत दर: 12,000 रुपये प्रति वर्गमीटर (कोण्डागांव)
केशकाल में नई दर: 9,500 रुपये प्रति वर्गमीटर
इस बदलाव से एक समान मार्ग पर स्थित संपत्तियों का निष्पक्ष और वैज्ञानिक मूल्यांकन संभव हो सकेगा।
ग्रामीण दरों में ऐतिहासिक सुधार—हेक्टेयर आधारित मूल्यांकन लागू
ग्रामीण क्षेत्रों में अब वर्गमीटर की दरों को समाप्त कर दिया गया है। सभी आवासीय और कृषि भूमि का मूल्यांकन अब हेक्टेयर दर से होगा।
इससे
छोटे टुकड़ों की जमीन की लागत का अंतर खत्म होगा
किसानों को उचित मुआवजा मिलेगा
ग्रामीण बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी
पेरमापाल, हंगवा, तोतर, आमगांव, आदनार, चेमा, छोटेउसरी, टिमेनार, एहरा और गदनतरई जैसे गांवों में दरों को आसपास के विकसित ग्रामों के अनुरूप समायोजित किया गया है।
दुर्ग, रायगढ़, सरगुजा, कोरबा, बिलासपुर समेत सभी जिलों में व्यापक संशोधन
राज्यभर में सड़क संपर्क, बसाहट की प्रकृति, आर्थिक गतिविधियों और बाजार विकास के आधार पर दरों का वैज्ञानिक आकलन किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग और प्रमुख जिला मार्गों के आस-पास बसे क्षेत्रों में समान मानक के आधार पर दरें तय हुई हैं।
नई गाइडलाइन दरों से आम नागरिकों, किसानों और खरीदारों को सीधा लाभ
वास्तविक उदाहरण – मसोरा गांव:
पुरानी दर पर स्टाम्प/पंजीयन शुल्क: ₹12,402
नई दर पर शुल्क: ₹5,777
लाभ: ₹6,625
वास्तविक उदाहरण – केरावाही गांव:
पुरानी दर पर शुल्क: ₹4,134
नई दर पर शुल्क: ₹2,438
लाभ: ₹1,696
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि नई गाइडलाइन दरें न केवल पारदर्शिता लाएँगी, बल्कि नागरिकों पर आर्थिक बोझ भी कम करेंगी।
रियल एस्टेट में स्थिरता और राजस्व वृद्धि का मार्ग प्रशस्त
पिछले आठ वर्षों में शहरों और गांवों दोनों में तेज़ विकास हुआ—नई सड़कें, औद्योगिक विस्तार, आवासीय कॉलोनियाँ, वाणिज्यिक परिसर। नई दरें इन्हीं बदलते कारकों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं, जिससे:
बाजार मूल्य और गाइडलाइन मूल्य का अंतर समाप्त होगा
स्टाम्प और रजिस्ट्री प्रक्रिया सरल होगी
रियल एस्टेट क्षेत्र में स्थिरता और विश्वास बढ़ेगा
यह निर्णय राज्यभर में संपत्ति आधारित लेनदेन को अधिक पारदर्शी, सुव्यवस्थित और जनहितकारी बनाएगा।
