Durg mediation settlement प्रक्रिया के तहत दुर्ग जिला न्यायालय परिसर स्थित मध्यस्थता केन्द्र में मंगलवार को एक बड़ी सफलता दर्ज की गई। लंबे समय से चल रहे भूमि विवाद से जुड़े प्री-लिटिगेशन मामले को महज़ 24 घंटे के भीतर सुलझा लिया गया। इस उपलब्धि ने एक बार फिर साबित किया है कि मध्यस्थता के माध्यम से विवाद समाधान तेज, सरल और सौहार्दपूर्ण होता है।
दोनों पक्षों ने राजीनामे से समाप्त किया वर्षों पुराना विवाद
जानकारी के अनुसार, मामले में दोनों पक्षकार लंबे समय से भूमि को लेकर आपस में उलझे हुए थे। कई प्रयासों के बाद भी विवाद कोर्ट तक पहुँचने की स्थिति में था।
लेकिन मध्यस्थता केन्द्र में हुई बातचीत के दौरान वातावरण बदल गया। दोनों पक्षों ने शांतिपूर्वक चर्चा की, एक-दूसरे की बात समझी और अंततः राजीनामा समझौते पर सहमति बनाई।
इससे न केवल न्यायालय में वाद प्रस्तुत करने की आवश्यकता समाप्त हुई, बल्कि परिवारों के बीच लंबे समय से बनी कड़वाहट भी कम हुई।
समय, धन और संबंध—तीनों की बचत
मध्यस्थता टीम ने पूरे मामले को बेहद संवेदनशीलता और कुशलता से संचालित किया।
सिर्फ एक दिन के भीतर समाधान होने से दोनों पक्षों का भारी समय और आर्थिक खर्च बच गया। साथ ही संबंधों में भी वह सौहार्द बना रहा जो अक्सर अदालत की प्रक्रियाओं में कमजोर पड़ जाता है।
प्राधिकरण के प्रयासों को सराहना
दुर्ग जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और मध्यस्थता टीम ने पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके सतत मार्गदर्शन और समन्वय के कारण मामला इतनी तेजी से समाधान तक पहुँच सका। प्राधिकरण लगातार प्रयास कर रहा है कि अधिक से अधिक विवादों का निपटारा मध्यस्थता के माध्यम से किया जाए ताकि आम नागरिकों को त्वरित, सरल और सुलभ न्याय मिल सके।
मध्यस्थता को बढ़ावा मिलने से न्याय प्रणाली पर दबाव कम होगा
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे सफल उदाहरण न्यायिक व्यवस्था को मजबूती देते हैं। मध्यस्थता जैसी वैकल्पिक व्यवस्था से मामलों की संख्या कम हो सकती है, जिससे अदालतों का बोझ भी घटेगा और लोगों को समय पर न्याय मिलेगा।
