Rahul Gandhi electoral reforms: लोकसभा में चुनाव आयोग की विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) पर बहस के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से पूछे गए तीन सवाल यह साबित करते हैं कि “BJP चुनाव आयोग को नियंत्रित कर रही है और भारत की लोकतांत्रिक संरचना को नुकसान पहुंचा रही है।”
राहुल गांधी के भाषण के दौरान सदन में कई बार हंगामा भी हुआ, लेकिन उन्होंने अपनी बात पूरी मजबूती के साथ रखी। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाना लोकतंत्र की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है।
1. CJI को चयन समिति से हटाने पर सवाल
Rahul Gandhi electoral reforms: राहुल गांधी ने पहला सवाल चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून में बदलाव को लेकर उठाया।
उन्होंने पूछा—
“CJI को चयन समिति से क्यों हटाया गया? प्रधानमंत्री और गृह मंत्री चुनाव आयुक्त चुनने में इतनी रुचि क्यों ले रहे हैं?”
उन्होंने यह भी कहा कि बतौर LoP वह चयन समिति में हैं, लेकिन PM और गृह मंत्री की संख्या अधिक होने के कारण उनकी कोई आवाज़ नहीं सुनी जाती।
2. चुनाव आयुक्तों को दी गई ‘इम्युनिटी’ पर प्रश्न
Rahul Gandhi electoral reforms: अपने दूसरे प्रश्न को “और भी गंभीर” बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि दिसंबर 2023 में सरकार ने ऐसा कानून लाया जिससे चुनाव आयुक्त अपने कार्यकाल में किए गए किसी भी निर्णय पर कानूनी कार्रवाई से सुरक्षित हो गए।
उन्होंने कहा—
“ऐसी अभूतपूर्व छूट किसी प्रधानमंत्री ने पहले कभी नहीं दी। PM और गृह मंत्री ने चुनाव आयुक्तों को ऐसा संरक्षण क्यों दिया?”
3. चुनावी CCTV फुटेज 45 दिन में नष्ट करने से क्यों?
Rahul Gandhi electoral reforms: राहुल गांधी का तीसरा सवाल चुनावी पारदर्शिता से जुड़ा था।
उन्होंने कहा—
“कानून क्यों बदला गया कि CCTV रिकॉर्डिंग 45 दिन बाद नष्ट कर दी जाएगी? वीडियो डेटा छिपाने की क्या जरूरत है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि “यह डेटा नहीं, बल्कि चुनाव चुराने का सवाल है।”
राहुल गांधी की चार बड़ी मांगें—‘Electoral Reforms’
अपने सवालों के बाद राहुल गांधी ने सरकार के सामने चार ठोस मांगें भी रखीं:
1. चुनाव से एक माह पहले सभी पार्टियों को मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट दी जाए।
2. CCTV फुटेज नष्ट करने वाला कानून तुरंत वापस लिया जाए।
3. EVM की पूरी आर्किटेक्चर सार्वजनिक की जाए और विपक्षी तकनीकी विशेषज्ञों को EVM की जांच का अधिकार मिले।
4. चुनाव आयुक्तों को दी गई व्यापक इम्युनिटी वाली धारा वापस ली जाए।
उन्होंने CEC और ECs को संबोधित करते हुए कहा—
“हम इस कानून को बदलकर रहेंगे… और तब हम आपको खोजते हुए आएँगे।”
EC ने CCTV फुटेज गोपनीय रखने का कारण बताया
Rahul Gandhi electoral reforms: जून 2025 में चुनाव आयोग ने नियम संशोधित कर कहा कि CCTV और वीडियोग्राफी का फुटेज केवल हाई कोर्ट में चुनाव याचिका की सुनवाई के दौरान ही देखा जा सकेगा।
आयोग का तर्क था कि फुटेज सार्वजनिक होने पर मतदाताओं की पहचान उजागर हो सकती है, जिससे दबाव, भेदभाव या धमकी जैसे खतरे पैदा होंगे।
कानून में इम्युनिटी—क्या कहता है प्रावधान?
2023 के नए कानून की धारा 16 के अनुसार—
चुनाव आयुक्त अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए किसी भी निर्णय पर किसी भी अदालत में केस का सामना नहीं करेंगे।
धारा 11 कहती है कि CEC को सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह ही हटाया जा सकता है, जबकि अन्य चुनाव आयुक्तों को हटाने से पहले CEC की सिफारिश जरूरी है।
लोकसभा की बहस ने बढ़ाया राजनीतिक तापमान
राहुल गांधी के आरोपों के बाद सदन में माहौल गरमाता रहा। विपक्ष चुनाव प्रक्रिया को “अविश्वसनीय” बताने पर अड़ा है, जबकि सरकार का कहना है कि सभी बदलाव पारदर्शिता और सुरक्षा को ध्यान में रखकर किए गए हैं।
फिलहाल, इन आरोपों और मांगों के बाद आने वाले सत्रों में चुनावी सुधारों पर और भी तीखी बहस होने की संभावना है।
