लोकसभा में पेश हुआ ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’: दफ्तर समय के बाद कॉल-ईमेल से मुक्ति का प्रस्ताव, कई निजी विधेयक भी चर्चा में

Right to Disconnect Bill नई दिल्ली। देश में कार्यस्थल की सीमाओं और निजी जीवन के संतुलन पर चल रही बहस अब संसद तक पहुँच गई है। शुक्रवार को एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में Right to Disconnect Bill पेश किया, जो कर्मचारियों को ऑफिस समय समाप्त होने के बाद काम से जुड़े कॉल, ईमेल और संदेशों का जवाब देने से मुक्त करने का अधिकार देने की मांग करता है।

इस निजी विधेयक में एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण (Employees’ Welfare Authority) बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है, जो कार्य-समय, काम का दबाव और कर्मचारियों पर बढ़ रही डिजिटल निगरानी से जुड़े मुद्दों की देखरेख करेगा।


क्यों ज़रूरी है ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’? बढ़ती मांग और नई बहस

Right to Disconnect Bill: हाल के महीनों में देश में काम के घंटों को लेकर बहस तेज हुई है।
इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति और एलएंडटी के सीईओ एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने 70 से 90 घंटे काम करने की वकालत कर नया विवाद खड़ा कर दिया था।

मूर्ति ने चीन के 9-9-6 मॉडल (सुबह 9 से रात 9 बजे, हफ्ते में 6 दिन) का उदाहरण देते हुए कहा था कि लंबे घंटे भारत को आर्थिक रूप से तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।

इन बयानों के बाद कर्मचारी समूहों ने मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक समय और कार्य-तनाव को लेकर चिंता जताई और राहत की मांग की। ऐसे समय में Right to Disconnect Bill का पेश होना इस बहस को और व्यापक बना रहा है।


संसद में पेश हुए अन्य महत्वपूर्ण निजी विधेयक

Right to Disconnect Bill: लोकसभा और राज्यसभा में कई सांसदों ने शुक्रवार को विभिन्न सामाजिक और नीतिगत मुद्दों पर निजी विधेयक पेश किए। इनमें से कुछ बेहद अहम हैं:

1. महिलाओं के लिए मासिक धर्म लाभ (Menstrual Benefits Bill)

कांग्रेस सांसद काडियम काव्या ने महिलाओं के लिए मासिक धर्म सुविधाएँ, विश्राम और सहायता सुनिश्चित करने वाला विधेयक पेश किया।
एलजेपी सांसद शंभवी चौधरी ने भी paid menstrual leave, स्वच्छता सुविधाओं और स्वास्थ्य लाभों की गारंटी वाला प्रस्ताव रखा।

2. तमिलनाडु को NEET से छूट देने का विधेयक

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने तमिलनाडु को मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET से छूट देने का बिल पेश किया।
राज्य पहले ही राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी ठुकराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट जा चुका है।

3. भारत में मृत्युदंड खत्म करने का प्रस्ताव

DMK सांसद कनिमोझी ने भारत में death penalty को समाप्त करने का महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया।
कानून आयोग भी पहले कह चुका है कि मृत्युदंड का प्रभाव, आजीवन कारावास की तुलना में, अधिक निवारक नहीं है।

4. पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का बिल

स्वतंत्र सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने Journalist (Prevention of Violence and Protection) Bill पेश किया, जिसमें पत्रकारों और उनकी संपत्ति को हिंसा से बचाने के लिए खास सुरक्षा प्रावधान शामिल हैं।


निजी विधेयकों का क्या होता है?

Right to Disconnect Bill: भारत में सांसद निजी विधेयक पेश कर सकते हैं, लेकिन प्रायः ये विधेयक सरकार की प्रतिक्रिया सुनने के बाद वापस ले लिए जाते हैं
फिर भी, ऐसे विधेयक समाज और नीति-निर्माण में नई चर्चा शुरू करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

Right to Disconnect Bill भी इसी श्रेणी में आता है — एक ऐसा प्रस्ताव, जो आने वाले समय में भारत के कार्य-संस्कृति सुधार की दिशा तय कर सकता है।

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