नक्सलियों के गढ़ गोगुंडा पहाड़ी पर बदले हालात: सीआरपीएफ कैंप स्थापित होने के बाद पहली बार सड़क निर्माण शुरू

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की गोगुंडा पहाड़ी—जो कभी नक्सलियों का सबसे मजबूत ठिकाना मानी जाती थी—आज नई उम्मीदों का केंद्र बन गई है। Gogunda CRPF camp road construction की शुरुआत ने दशकों से विकास से कटे इस इलाके में एक नई रोशनी जगाई है। आज़ादी के बाद पहली बार यहाँ सड़क निर्माण कार्य शुरू हुआ है, और पहाड़ी के आदिवासी अब बदलाव को अपनी आँखों से देख पा रहे हैं।


चार दशक बाद बदली तस्वीर, सुरक्षा घेरे में शुरू हुआ सड़क निर्माण

Gogunda CRPF camp road construction: गोगुंडा पहाड़ी का क्षेत्र लगभग 40 वर्षों तक नक्सलियों के कब्जे में रहा। न बाहरी लोग यहाँ प्रवेश कर पाते थे, न ही विकास का कोई कार्य संभव था। ऊँची और खड़ी ढलानों ने भी सड़क निर्माण को लगभग असंभव बना दिया था।

लेकिन 20 अक्टूबर को सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन ने गोगुंडा पहाड़ी पर कैंप स्थापित किया, और तब से हालात तेजी से बदलने लगे। जिला पुलिस व सीआरपीएफ के सुरक्षा कवच में कड़ी चुनौतियों के बीच आज यहाँ सड़क का काम शुरू हो गया है।

सुकमा एसपी किरण चौहान के अनुसार,
“कैंप स्थापित होते ही दर्भा डिवीजन का नक्सली ठिकाना खत्म हो गया। अब नक्सली आत्मसमर्पण की अपील कर रहे हैं।”


क्षेत्र का भूगोल: खतरों से भरा, लेकिन अब विकास के रास्ते पर

Gogunda CRPF camp road construction: घने जंगलों से घिरा यह पहाड़ी इलाका सुरक्षा बलों की आवाजाही के लिए हमेशा चुनौती रहा है। नक्सली यहां—

  • हथियार पहुंचाने,
  • घात लगाने,
  • और नए कैडर को प्रशिक्षित करने
    जैसी गतिविधियों को अंजाम देते थे।

लेकिन अब सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद यह ठिकाना उनके नियंत्रण से बाहर हो चुका है।

सीआरपीएफ के 74वीं बटालियन के कमांडेंट हिमांशु पांडे बताते हैं—
“कैंप समुद्र तल से 662 मीटर की ऊंचाई पर है। राह न होना सबसे बड़ी समस्या थी, लेकिन पुलिस, सीआरपीएफ और डीआरजी ने मिलकर पिछले 45 दिनों से निरंतर सड़क निर्माण को सुरक्षित बनाया है।”


स्थानीय आदिवासी बोले—“पहाड़ से उतरना युद्ध जैसा लगता था”

Gogunda CRPF camp road construction: गोगुंडा के निवासियों ने पहली बार अपनी बात खुलकर सुरक्षा बलों के साथ साझा की।
पहले जहाँ पहाड़ी से नीचे उतरना भी खतरों से भरा और युद्ध जैसा लगता था, वहीं अब लोगों की आंखों में उम्मीद की चमक दिख रही है।

स्थानीय ग्रामीणों ने कहा—
“अब सड़क बनने से जीवन आसान होगा। विकास, इंटरनेट, स्वास्थ्य सेवाओं और स्कूलों तक पहुंच संभव होगी।”


अमित शाह की योजना के तहत नक्सलवाद पर बड़ी चोट

केंद्र सरकार ने 31 मार्च तक नक्सलवाद उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है। गोगुंडा पहाड़ी पर सीआरपीएफ कैंप की स्थापना और Gogunda CRPF camp road construction को इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह इलाका नक्सलियों का “सबसे सुरक्षित और अजेय ज़ोन” माना जाता था, जिसे आज बलों ने पूरी तरह बदल दिया है।


अब विकास की राह खुलेगी

सड़क बनने के बाद यहां—

  • स्वास्थ्य सेवाएँ
  • शिक्षा
  • इंटरनेट
  • सरकारी योजनाएँ
  • बाजार व रोजगार
    की पहुंच संभव होगी।
    वर्षों तक अलग-थलग पड़ा गोगुंडा अब मुख्यधारा से जुड़ने की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा चुका है।

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