Congress leader Jeevan Thakur death: छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित आदिवासी नेता और कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष जीवन ठाकुर की मौत ने पूरे बस्तर और कांकेर क्षेत्र में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। जीवन ठाकुर रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में इलाज के दौरान चल बसे। वे वन अधिकार पट्टा घोटाला मामले में सजा काट रहे थे और अक्टूबर 2025 से जेल में बंद थे।
⚠️ अचानक तबीयत बिगड़ी, लेकिन सूचना नहीं दी गई
Congress leader Jeevan Thakur death: जेल प्रशासन के अनुसार, रायपुर सेंट्रल जेल में रहने के दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी, जिसके बाद 4 दिसंबर की सुबह लगभग 4:20 बजे उन्हें मेकाहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया।
लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उनके परिवार को इस गंभीर स्थिति की कोई जानकारी नहीं दी गई।
परिवार को मौत की सूचना शाम करीब 5 बजे दी गई, जबकि उनका निधन सुबह 7:45 बजे हो चुका था।
🗣️ परिवार के गंभीर आरोप: “जानबूझकर नहीं दिया इलाज”
जीवन ठाकुर के परिजनों ने आरोप लगाया कि:
- उन्हें कांकेर जेल से रायपुर शिफ्ट करने की सूचना नहीं दी गई।
- पहले से बीमार होने के बावजूद प्रशासन ने इलाज में लापरवाही बरती।
- हालत बिगड़ने और अस्पताल रेफर करने के बावजूद परिवार से जानकारी छिपाई गई।
परिवार का कहना है कि अगर समय पर सही इलाज मिलता, तो शायद जीवन ठाकुर बच जाते।
🔥 आदिवासी समाज में गुस्सा, ज्ञापन सौंपा
Congress leader Jeevan Thakur death: सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने भी इस मौत को संदिग्ध बताते हुए चारामा थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा।
उनका कहना है कि यह मामला केवल लापरवाही नहीं, बल्कि मानवाधिकार उल्लंघन और जानबूझकर की गई उपेक्षा जैसा लगता है।
🏛️ दीपक बैज का हमला: “यह राजनीतिक प्रताड़ना है”
Congress leader Jeevan Thakur death: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इस मौत को राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने कहा —
“जीवन ठाकुर को कांग्रेस सरकार में वन अधिकार पट्टा मिला था। लेकिन इस सरकार ने उसे फर्जी कहकर उनके खिलाफ FIR दर्ज कर दी। जेल में न तो सही खाना दिया गया, न इलाज। यह स्पष्ट अत्याचार है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस घटना ने
- आदिवासी समाज का भरोसा तोड़ा है
- प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं
उन्होंने मांग की कि पूरी घटना की हाई-लेवल जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
दीपक बैज जीवन ठाकुर के अंतिम संस्कार में शामिल होने कांकेर भी जा रहे हैं।
⚖️ जांच की मांग तेज, कई सवाल अनुत्तरित
इस मामले ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं—
- बीमार कैदी को परिवार से छिपाकर क्यों शिफ्ट किया गया?
- इलाज के दौरान समय पर सूचना क्यों नहीं दी गई?
- क्या जेल प्रशासन ने नियमों का उल्लंघन किया?
- क्या यह राजनीतिक प्रताड़ना का मामला है?
इन सवालों के उत्तर अब जांच रिपोर्ट पर निर्भर हैं, जिसका इंतजार पूरे क्षेत्र को है।
