नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार, 4 दिसंबर को दिल्ली पहुँचेंगे। उनके आगमन के साथ ही लंबे समय बाद होने वाली Vladimir Putin India visit को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है।
अगले दिन, यानी 5 दिसंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच वार्षिक भारत–रूस शिखर वार्ता आयोजित होगी। यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी, जब से रूस–यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ।
यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच रणनीतिक स्वायत्तता और साझेदारी को नए सिरे से परिभाषित करने का अवसर मानी जा रही है।
व्यापार को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचाने पर विशेष फोकस
क्रेमलिन के मीडिया ब्रीफ के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि रूस इस शिखर वार्ता में अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से भारत–रूस व्यापार को बचाने पर चर्चा करेगा।
यह पहल दोनों देशों के लिए अहम है, क्योंकि हाल के वर्षों में रूसी ऊर्जा और रक्षा सौदों पर अमेरिकी दबाव बढ़ा है।
सरकार इस Vladimir Putin India visit को व्यापारिक सहयोग की नई परत जोड़ने का अवसर मान रही है।
रक्षा सहयोग को नई मजबूती
रूस की संसद स्टेट डूमा ने हाल ही में Reciprocal Exchange of Logistic Support (RELOS) समझौते को मंजूरी दे दी है।
स्पीकर वियाचेस्लाव वोलोदिन ने इसे दोनों देशों के “गहरे और व्यापक रणनीतिक संबंधों का अगला कदम” बताया।
यह समझौता सैन्य सहयोग, लॉजिस्टिक सपोर्ट और संयुक्त अभियानों को सरल बनाएगा।
शिखर वार्ता के दौरान छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) जैसी नई तकनीक पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का संदेश
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह Vladimir Putin India visit ऐसे समय पर हो रही है, जब अमेरिका भारत पर रूसी ऊर्जा और सैन्य उपकरणों की खरीद कम करने का दबाव बढ़ा रहा है।
लेकिन भारत—परंपरागत रूप से—रूस को अपनी रणनीतिक साझेदारी का अहम स्तंभ मानता है।
इसलिए यह मुलाकात भारत के लिए दुनिया को यह संदेश देने का मौका भी है कि वह अपने हितों के आधार पर स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करेगा।
मैनपावर और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर भी प्रगति
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार:
- कुशल और अर्ध-कुशल भारतीय कर्मियों के लिए मोबिलिटी समझौता अंतिम रूप ले चुका है।
- पिछले सप्ताह Eurasian Economic Union (EAEU) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर औपचारिक बातचीत शुरू हुई है।
यह FTA भारत की उन चिंताओं को दूर कर सकता है, जो अभी तक टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाओं के कारण व्यापार में सामने आती रही हैं।
पाँच मुख्य बिंदु: Vladimir Putin India visit
- 4 दिसंबर को पुतिन नई दिल्ली पहुँचेंगे;
5 दिसंबर को मोदी–पुतिन शिखर वार्ता। - वार्ता का केंद्र—अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत–रूस व्यापार की सुरक्षा।
- रक्षा सहयोग में बड़ा कदम: RELOS समझौते को रूस की संसद से मंजूरी।
- EAEU के साथ FTA पर बातचीत शुरू; भारतीय कार्यबल के लिए नई मोबिलिटी डील फाइनल।
- भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को फिर दोहराने की तैयारी में है।
निष्कर्ष: नई दिशा में बढ़ती भारत–रूस साझेदारी
यह Vladimir Putin India visit केवल एक राजनयिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि दो पुराने साझेदारों के बीच नए दौर की रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी की शुरुआत हो सकती है।
वैश्विक दबावों के बीच यह यात्रा भारत को अपने हितों के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर देती है और रूस के लिए दक्षिण एशिया में अपनी भूमिका को मजबूत करने का मौका भी।
