छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से Chhattisgarh Breaking News के तहत एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। माओवादी मड़कम माड़वी कमिटी (MMC) जोन से जुड़े नक्सलियों ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 1 जनवरी 2026 से हथियारबंद संघर्ष को पूरी तरह विराम देने का निर्णय लिया है।
MMC जोन के प्रवक्ता अनंत ने प्रेस नोट जारी कर यह घोषणा की। यह फैसला न केवल बस्तर के सुरक्षा परिदृश्य में बदलाव लाएगा, बल्कि दशकों से हिंसा से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए नई उम्मीद भी बनकर आया है।
प्रवक्ता अनंत ने की सामूहिक निर्णय की अपील
प्रवक्ता अनंत ने अपने बयान में कहा कि यह कदम किसी मजबूरी, हार या दबाव का परिणाम नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया—
“हम समर्पण नहीं कर रहे, बल्कि सरकार की ‘पूना मार्गेम’ नीति को स्वीकार कर रहे हैं। हम एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।”
उन्होंने यह भी आग्रह किया कि कोई भी नक्सली अकेले समर्पण न करे। सभी को सामूहिक रूप से हथियार छोड़कर सरकार के सामने आने की सलाह दी गई है।
“हथियार साधन हैं, साध्य नहीं” — नक्सली संगठन का संदेश
अनंत ने बयान में एक महत्वपूर्ण बात कही जिसने कई सवालों को शांत किया—
“हथियार छोड़ना जनता के साथ गद्दारी नहीं है। हथियार सिर्फ एक साधन है, साध्य नहीं। जनता की भलाई के लिए हम यह फैसला ले रहे हैं।”
यह संदेश स्पष्ट करता है कि MMC जोन अपने संघर्ष की दिशा बदलना चाहता है और सामाजिक हित को प्राथमिकता दे रहा है।

बाउपेंग रेडियो फ्रीक्वेंसी नंबर हुआ जारी
सभी साथियों के बीच तालमेल और संपर्क बनाए रखने के लिए एक खुला रेडियो फ्रीक्वेंसी नंबर भी जारी किया गया है, जिसे “बाउपेंग” नाम दिया गया है।
इस फ्रीक्वेंसी पर कोई भी नक्सली संपर्क कर सकता है और आगे की रणनीति पर चर्चा कर सकता है।
बस्तर में शांति प्रयासों को मिलेगी नई गति
यह घोषणा बस्तर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
सालों से नक्सल हिंसा की मार झेल रही इस धरती पर यह खबर लोगों के लिए एक नई सुबह की तरह है।
अगर MMC जोन का यह निर्णय सफल होता है, तो यह बस्तर में शांति स्थापना का सबसे बड़ा कदम साबित हो सकता है।
सरकार की पूना मार्गेम (समर्पण एवं पुनर्वास) नीति के तहत नक्सलियों को पुनर्वास, सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन का अवसर मिलेगा।
