लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता और वैश्विक स्तर पर पहचाने जाने वाले सोनम वांगचुक पिछले 60 दिनों से PSA (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) के तहत जेल में बंद हैं। उनके परिवार की चिंता बढ़ती जा रही है और इसी बीच उनकी पत्नी गीतान्जलि जे. अंगमो ने अपनी पीड़ा साझा की है।
अंगमो बताती हैं कि उन्हें वांगचुक से सिर्फ दो घंटे मिलने की अनुमति मिलती है— दो घंटे पत्नी के लिए और दो घंटे वकील के लिए।
वह कहती हैं—
“हम दोनों एक-दूसरे के सामने मजबूत दिखने की कोशिश करते हैं।”
“12 दिन तक कोई जानकारी नहीं… वह समय बेहद डरावना था”
वांगचुक को 26 सितंबर को हिरासत में लिया गया था। उनकी पत्नी बताती हैं कि गिरफ्तारी के बाद 12 दिनों तक उन्हें यह नहीं पता था कि पति किस हालत में हैं।
अंगमो ने कहा—
“पहली बार उनसे 7 अक्टूबर को मिली। 12 दिनों तक किसी भी तरह की जानकारी नहीं मिलना बेहद डरावना था।”
वह यह भी बताती हैं कि प्रशासन और सरकार से जानकारी मांगने के बावजूद, उन्हें लगातार टाल-मटोल का सामना करना पड़ा।
“एक बार मज़ाक में कहा— शायद बाहर आएंगे तो श्री अरविंद की तरह ‘एनलाइटेंड’ होंगे”
अंगमो ने एक मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा—
“मैंने उनसे कहा कि हो सकता है, बाहर आकर आप श्री अरविंद की तरह ‘प्रबुद्ध’ हो जाएं।”
लेकिन भीतर छिपी चिंता उनकी आवाज़ में साफ दिखती है।
कानूनी मोर्चे पर संघर्ष: ‘वायरल किए गए वीडियो झूठे और भ्रामक’
अंगमो के अनुसार, सरकार द्वारा जारी डिटेंशन ऑर्डर में जिन वीडियो का हवाला दिया गया है, वे—
- भ्रामक हैं,
- ट्रोल्स द्वारा फैलाए गए,
- और पहले ही फैक्ट-चेक किए जा चुके हैं।
वह कहती हैं—
“वांगचुक की चरित्र हत्या करीब एक साल से चल रही थी— उन्हें एंटी-नेशनल, पाकिस्तानी एजेंट, ISI एजेंट कहा गया। यह सब झूठा नैरेटिव पहले से तैयार किया गया था।”
लद्दाख में बढ़ रहा तनाव और चुप्पी
वांगचुक की गिरफ्तारी से लद्दाख की राजनीति में तनाव बढ़ा है।
- पर्यावरण से जुड़े मुद्दे,
- जनसंख्या सुरक्षा,
- और राज्य की पहचान
इन सब पर वह लगातार आवाज उठाते रहे हैं।
लेकिन हिरासत के 60 दिनों बाद भी मामले पर सरकार की चुप्पी गहरी होती जा रही है, जिससे परिवार और समर्थकों में बेचैनी बढ़ी है।
