रायपुर। सूरजपुर जिले से सामने आए दर्दनाक Chhattisgarh High Court child hanging case ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। एक प्राइवेट स्कूल में एलकेजी के चार साल के मासूम को सिर्फ इसलिए पेड़ से लटका दिया गया क्योंकि वह अपना होमवर्क पूरा नहीं कर पाया था। यह घटना न केवल अमानवीय थी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी उजागर करती है।
सोमवार को नारायणपुर गांव स्थित स्कूल में दो शिक्षिकाओं—काजल साहू और अनुराधा देवांगन—ने मासूम बच्चे को रस्सी से बांधकर स्कूल परिसर में लगे पेड़ से लटका दिया। पास के एक मकान की छत पर मौजूद युवक ने पूरा दृश्य अपने मोबाइल में कैद कर लिया। वीडियो वायरल होते ही लोगों में आक्रोश फैल गया और मामले ने तूल पकड़ लिया।
👉 स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़का, वीडियो हुआ वायरल
वीडियो सामने आते ही ग्रामीण इक्ट्ठा हो गए और दोषी शिक्षिकाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। लोग इस बात से आहत थे कि एक शिक्षिका, जिसे बच्चों की सुरक्षा और संवेदनशीलता की जिम्मेदारी दी जाती है, वही इस तरह का बर्बर कदम कैसे उठा सकती है। ग्रामीणों ने बच्चे के परिवार को भी भरोसा दिलाया कि वे न्याय की लड़ाई में साथ खड़े रहेंगे।
👉 शिक्षा विभाग ने तुरंत जांच शुरू की
घटना के बाद क्लस्टर इन-चार्ज ने मौके पर पहुंचकर जांच की। अधिकारियों ने माना कि शिक्षिकाओं का यह व्यवहार “पूरी तरह गलत” था। उन्होंने पूरी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारियों को सौंप दी। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्कूल प्रबंधन को दो दिन में जवाब देने का नोटिस जारी किया गया है। बच्चा फिलहाल सुरक्षित है, लेकिन उसके माता-पिता इस घटना से मानसिक रूप से आहत हैं।

👉 हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
यह मामला पहले 20 जनवरी 2026 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, लेकिन गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश रामेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने इसे बुधवार को ही सुनवाई के लिए ले लिया।
👉 कोर्ट ने मांगी व्यक्तिगत हलफनामा
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता वाई.एस. ठाकुर ने अदालत को बताया कि दोषी शिक्षिकाओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इसके बाद अदालत ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वे पूरे मामले पर व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करें। अगली सुनवाई 9 दिसंबर 2025 को होगी।
👉 मासूम की चीखों ने जगाया सिस्टम
यह मामला केवल एक बच्चा और एक स्कूल तक सीमित नहीं है। इसने पूरे शिक्षा तंत्र को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। शिक्षा सिर्फ किताबों और होमवर्क की नहीं होती—यह संवेदना, धैर्य और समझदारी का नाम है।
