दुर्ग।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भुइयां पोर्टल को हैक कर जमीन के सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करने और फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर बैंक से लाखों रुपये का लोन निकालने का बड़ा घोटाला सामने आया है। पुलिस ने इस साइबर–फ्रॉड से जुड़े गिरोह के 7 सदस्यों को पकड़ लिया है, जिनमें एक नाबालिग भी शामिल है।
यह मामला नंदनी थाना क्षेत्र का है, जहां पुलिस और एसीसीयू दुर्ग की संयुक्त टीम ने लंबे समय से दर्ज शिकायतों की कड़ियां जोड़कर बड़ी कार्रवाई की।
मास्टरमाइंड ने पटवारी के नाबालिग सहयोगी को झांसा दिया
एएसपी अभिषेक झा ने बताया कि पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड संजय वर्मा है, जिसने बेहद चालाकी से पटवारी के नाबालिग सहायक को अपने जाल में फंसाया।
संजय ने उस नाबालिग से यूजर आईडी, पासवर्ड और ओटीपी हासिल कर लिया। आगे यह जानकारी उसने कोमल साहू को दी, जिसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर भुइयां एप में रिकॉर्ड में बदलाव किया और घोटाले को अंजाम दिया।
कैसे किया गया घोटाला?
13 अगस्त 2025 को तहसीलदार राधेश्याम वर्मा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि अछोटी और मुरमुन्दा गांव के भुइयां सॉफ्टवेयर में अज्ञात लोगों ने हैकिंग कर अवैध बदलाव किए हैं।
जांच में सामने आया कि—
- आरोपी जमीन रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करते थे
- सरकारी जमीनों का रकबा बढ़ाकर नए खसरा नंबर तैयार करते थे
- बदले हुए रिकॉर्ड के आधार पर बैंक से लोन लेते थे
इन अवैध परिवर्तनों का उपयोग करते हुए गिरोह ने एसबीआई नंदनी नगर शाखा से लाखों रुपये का फर्जी लोन भी हासिल किया।
36 लाख का लोन और तुरंत रकम ट्रांसफर
मुख्य आरोपी दीनुराम यादव ने कूट–रचित दस्तावेज़ों के आधार पर 36 लाख रुपये का फर्जी लोन लिया था।
रकम मिलते ही इसे कई खातों में बांट दिया गया।
जांच में पता चला कि 20,26,547 रुपये नंदकिशोर साहू के खाते में ट्रांसफर किए गए थे।
दुर्ग के कई गांवों में रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़
जांच में यह भी सामने आया कि—
- मुरमुन्दा
- अछोटी
- बोरसी
- चेटूया
इन गांवों के भूमि रिकॉर्ड में व्यापक छेड़छाड़ की गई थी।
गिरोह ने सरकारी जमीनों को निजी बताकर उनके क्षेत्रफल बढ़ाए और फिर दस्तावेज़ों के आधार पर लोन प्राप्त किया।
इनमें से कई शिकायतें पहले से नंदनी नगर, कुम्हारी और अमलेश्वर थानों में दर्ज थीं।
पटवारी का सहायक गिरोह से जुड़ा: यूजर आईडी और पासवर्ड बेचा
पहले से गिरफ्तार एन.के. साहू, अमित कुमार मौर्य और गणेश प्रसाद तंबोली से पूछताछ में खुलासा हुआ कि अशोक उरांव नामक व्यक्ति पटवारी की यूजर आईडी, पासवर्ड और ओटीपी गिरोह को बेचता था।
गिरफ्तारी के बाद अशोक ने बताया कि—
- संजय वर्मा ने पटवारी के साथ काम कर रहे एक विधि से जूझ रहे बालक (नाबालिग) को बहलाया
- उसी नाबालिग ने प्रणाली की संवेदनशील जानकारी आरोपियों को दे दी
- इसके बाद बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा शुरू हुआ
अन्य जिलों में भी आरोपी सक्रिय, कोरबा में भी मामला दर्ज
गिरोह ने रायपुर निवासी कोमल साहू के माध्यम से—
- कौशल फेकर
- ओम प्रकाश निषाद
- देवानंद साहू
- शिवचरण कौशल
जैसे कंप्यूटर ऑपरेटरों को जोड़कर फर्जी काम करवाया।
आरोपी शिवचरण कौशल के खिलाफ ऐसे ही मामलों में कोरबा जिले में भी प्रकरण दर्ज हैं।
जांच जारी, और बड़े खुलासों की संभावना
दुर्ग पुलिस का मानना है कि यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और संभव है कि कई और मामलों में इनका हाथ हो।
भुइयां पोर्टल की सुरक्षा में सेंध लगाकर जमीन रिकॉर्ड के साथ खिलवाड़ जैसे गंभीर अपराध से पूरे प्रशासनिक ढांचे को झटका लगा है।
पुलिस अब धन के स्रोत, खातों के नेटवर्क और अन्य संभावित सह–साजिशकर्ताओं पर भी जांच आगे बढ़ा रही है।
