पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास पर 16 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप, EOW की सातवीं चार्जशीट दायर

रायपुर (26 नवंबर): छत्तीसगढ़ में चर्चित शराब घोटाले की जांच एक बार फिर महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बुधवार को इस मामले में सातवीं चार्जशीट दायर करते हुए पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास पर टेंडर की शर्तों में हेराफेरी का गंभीर आरोप लगाया है।
चार्जशीट के मुताबिक, उन्होंने विभाग के भीतर सक्रिय एक सिंडिकेट को फायदा पहुंचाने के लिए कथित रूप से नियमों में मनमानी की और कम से कम 16 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।

इस पूरे घटनाक्रम का मुख्य केंद्र है “Chhattisgarh liquor scam chargesheet”, जिसे जांच एजेंसियां लंबे समय से बेहद संगीन मामला मान रही हैं।


🔻 कैसे सामने आया कथित घोटाला?

EOW द्वारा दायर चार्जशीट में विस्तृत रूप से बताया गया है कि 2019 से 2022 के बीच कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शराब खरीद-फरोख्त और आपूर्ति प्रक्रियाओं में कई अनियमितताएँ हुईं।
कथित रूप से आबकारी विभाग के भीतर बना एक प्रभावशाली सिंडिकेट टेंडरों में बदलाव, कीमतों के हेरफेर और अवैध लाभ वितरण जैसी गतिविधियों में शामिल था।

चार्जशीट के अनुसार निरंजन दास ने इन प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और टेंडर की शर्तों को अपने प्रभाव से बदलकर विशेष समूह को लाभ पहुंचाया


🔻 किन-किन लोगों पर लगे आरोप?

EOW की नवीनतम चार्जशीट में कुल 6 आरोपियों के नाम शामिल हैं—

  • निरंजन दास – सेवानिवृत्त IAS अधिकारी, पूर्व आयुक्त एवं सचिव (आबकारी)
  • अतुल सिंह – शराब व्यवसायी
  • मुकेश मांचंदा – शराब व्यापारी
  • नितेश पुरोहित – होटल व्यवसायी
  • यश पुरोहित – नितेश पुरोहित का पुत्र
  • दिपेन चौड़ा – अन्य संबद्ध व्यक्ति

सभी पर शराब घोटाले की योजना तैयार करने और उसे व्यापक स्तर पर लागू करने में अलग-अलग भूमिकाएँ निभाने के आरोप हैं।


🔻 EOW ने क्या कहा?

अधिकारियों के अनुसार, वित्तीय लेन-देन, बैंकिंग रिकॉर्ड और निविदा दस्तावेजों की जांच ने यह स्पष्ट किया कि कई निर्णय केवल सिंडिकेट के हित में लिए गए थे, जिनसे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ।
चार्जशीट में उल्लेख है कि निरंजन दास ने उच्च पद का दुरुपयोग किया और अनियमित रूप से लाभ उठाया।


🔻 राजनीतिक पृष्ठभूमि भी चर्चा में

यह पूरा मामला भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पूर्व कांग्रेस सरकार के दौर का है।
EOW के अनुसार, उस समय शराब वितरण प्रणाली में हुई अनियमितताओं का प्रभाव पूरे प्रदेश के राजस्व तंत्र पर पड़ा।

हालांकि राजनीतिक दल इस मामले में लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे हैं, लेकिन जांच आगे बढ़ने के साथ तथ्य अब क्रमशः सामने आ रहे हैं


🔻 आगे क्या होगा?

अब मामला विशेष न्यायालय में विचाराधीन है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि आरोपियों के खिलाफ कौन-कौन से प्रावधानों के तहत विस्तृत मुकदमा चलाया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि आगे और चार्जशीट दायर हो सकती हैं।


“Chhattisgarh liquor scam chargesheet” एक ऐसे घोटाले को बयां करती है जिसने राज्य के प्रशासनिक ढांचे और आबकारी व्यवस्था दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।
जांच के आगे बढ़ने से यह स्पष्ट हो रहा है कि इस मामले में कई बड़े चेहरे शामिल थे और आने वाले दिनों में और भी खुलासे संभव हैं।

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