Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता मिली है। प्रतिबंधित CPI (Maoist) संगठन के पंद्रह सक्रिय सदस्य—जिन पर कुल मिलाकर लगभग 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था—ने मंगलवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
आत्मसमर्पण करने वालों में 10 पुरुष और 5 महिलाएँ शामिल हैं। ये सभी सुकमा जिला मुख्यालय में पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के सामने औपचारिक रूप से मुख्यधारा में लौटे।
⭐ PLGA बटालियन-1 के चार कुख्यात माओवादी भी सरेंडर
आत्मसमर्पण करने वालों में सबसे महत्वपूर्ण नाम हैं—
- पीपीसीएम मदवी सन्ना
- सोडी हिडमे
- सूर्यम उर्फ राव्वा सोमा
- मीना उर्फ मदवी भीमे
ये चारों कुख्यात माओवादी पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन नंबर-1 के सक्रिय सदस्य थे और प्रत्येक पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
🔻 हिडमा के खात्मे के बाद चरमराया माओवादी ढांचा
SP किरन चव्हाण ने मीडिया से बताया कि यह आत्मसमर्पण हाल ही में कुख्यात 1 बटालियन कमांडर मदवी हिडमा के मारे जाने के बाद पैदा हुए नेतृत्व शून्य और डर की स्थिति का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि—
“सुरक्षा बलों की लगातार गहरी पैठ और सरकार की आकर्षक नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 ने माओवादियों के मनोबल को भारी चोट पहुँचाई है।”
💸 प्रत्येक नक्सली को तुरंत 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता
पुलिस अधीक्षक ने घोषणा की कि आत्मसमर्पण करने वाले हर माओवादी को 50,000 रुपये की त्वरित प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही उनके पुनर्वास, शिक्षा, स्वरोजगार और आवास संबंधी योजनाओं पर भी प्राथमिकता से काम किया जाएगा।
📉 इस वर्ष 650 से अधिक माओवादी संगठन छोड़ चुके—तेजी से ढह रहा है चार दशक पुराना आंदोलन
सुकमा पुलिस के अनुसार, केवल इस वर्ष छत्तीसगढ़ में 650 से अधिक नक्सली हथियार डाल चुके हैं।
यह आँकड़ा माओवादी आंदोलन के तेज़ी से कमजोर होने और केंद्र सरकार के मार्च 2026 तक माओवाद को समाप्त करने के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
🌾 मुख्यधारा में लौटने वालों ने जताई राहत
आत्मसमर्पित माओवादियों ने बताया कि लगातार सुरक्षा दबाव, बेहतर जीवन की चाह और हिडमा के खात्मे के बाद संगठन में फैले डर ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। कई ग्रामीणों ने भी इसे शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
