संतरा बाड़ी निवासी श्रीमती भाइन बाई बजाज के निधन के बाद उनके पुत्रों—नौतन दास बजाज, नरेश कुमार बजाज, कन्हैया लाल बजाज, तथा परिवार की बहुओं और पौत्रियों की सहमति से उनका नेत्रदान कराया गया।
यह नेक निर्णय न केवल दो नेत्रहीन व्यक्तियों के जीवन में प्रकाश लेकर आएगा, बल्कि समाज को भी नेत्रदान के लिए प्रेरित करेगा।
इस मानवीय पहल ने पूरे क्षेत्र में सकारात्मक संदेश फैलाया है।
परिवार का बड़ा निर्णय: “मां नहीं रहीं, पर उनकी रौशनी दो घरों को जगमगाएगी”
नौतन दास बजाज ने भावुक होकर कहा—
“मां के निधन से हमारा परिवार स्तब्ध है, लेकिन उनके नेत्रदान से समाज का भला होगा, यही सोच हमें संतोष देती है।”
वहीं नरेश कुमार बजाज ने कहा—
“मां अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन दो परिवारों के माध्यम से उनकी रौशनी हमेशा जीवित रहेगी। यह एहसास हमें शक्ति देता है।”
नेत्रदान के दौरान रात में बड़ी संख्या में सामाजिकजन बजाज निवास पहुंचे और बजाज परिवार के इस निर्णय की भरपूर सराहना की।
नेत्रदान की प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग
नेत्रदान की संपूर्ण प्रक्रिया में नवदृष्टि फाउंडेशन के सदस्यों—
राजेश पारख, कुलवंत भाटिया, रवि कुकरेजा, प्रभु दयाल उजाला, हरमन दुलई, सुरेश जैन, यतीन्द्र चावड़ा—का अहम योगदान रहा।
श्री शंकराचार्य हॉस्पिटल के डॉ. संदीप बचकर एवं डॉ. निवेश ने कॉर्निया संग्रहण की प्रक्रिया पूरी की।
रवि कुकरेजा ने दी प्रेरणा

श्रीमती बजाज के निधन की सूचना मिलते ही परिवार के करीबी रिश्तेदार रवि कुकरेजा ने तुरंत बजाज परिवार से नेत्रदान की सहमति ली।
उन्होंने कहा—
“बजाज परिवार समाज का प्रतिष्ठित परिवार है। भाइन बाई बजाज के नेत्रदान से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और प्रतीक्षारत नेत्रहीनों को जल्द कॉर्निया उपलब्ध होंगे।”
नवदृष्टि फाउंडेशन द्वारा श्रद्धांजलि
नवदृष्टि फाउंडेशन की ओर से अनिल बल्लेवार, कुलवंत भाटिया, राज आढ़तिया, प्रवीण तिवारी, मुकेश आढ़तिया, मंगल अग्रवाल, रितेश जैन, जितेंद्र हासवानी, उज्जवल पींचा, सुरेश जैन सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने
श्रीमती भाइन बाई बजाज को श्रद्धांजलि दी और बजाज परिवार को साधुवाद दिया।
नेत्रदान: एक निर्णय जो जीवन बदल देता है
Bhain Bai Bajaj eye donation न सिर्फ दो नेत्रहीनों के लिए नई उम्मीद बनी है, बल्कि यह समाज में मानवता, सेवा और सद्भावना का गहरा संदेश भी छोड़ता है।
हर व्यक्ति के लिए यह प्रेरणा है कि मृत्यु के बाद भी किसी का जीवन रोशन किया जा सकता है।संतरा बाड़ी निवासी श्रीमती भाइन बाई बजाज के निधन के बाद उनके पुत्रों—नौतन दास बजाज, नरेश कुमार बजाज, कन्हैया लाल बजाज, तथा परिवार की बहुओं और पौत्रियों की सहमति से उनका नेत्रदान कराया गया।
यह नेक निर्णय न केवल दो नेत्रहीन व्यक्तियों के जीवन में प्रकाश लेकर आएगा, बल्कि समाज को भी नेत्रदान के लिए प्रेरित करेगा।
इस मानवीय पहल ने पूरे क्षेत्र में सकारात्मक संदेश फैलाया है।
परिवार का बड़ा निर्णय: “मां नहीं रहीं, पर उनकी रौशनी दो घरों को जगमगाएगी”
नौतन दास बजाज ने भावुक होकर कहा—
“मां के निधन से हमारा परिवार स्तब्ध है, लेकिन उनके नेत्रदान से समाज का भला होगा, यही सोच हमें संतोष देती है।”
वहीं नरेश कुमार बजाज ने कहा—
“मां अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन दो परिवारों के माध्यम से उनकी रौशनी हमेशा जीवित रहेगी। यह एहसास हमें शक्ति देता है।”
नेत्रदान के दौरान रात में बड़ी संख्या में सामाजिकजन बजाज निवास पहुंचे और बजाज परिवार के इस निर्णय की भरपूर सराहना की।
नेत्रदान की प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग
नेत्रदान की संपूर्ण प्रक्रिया में नवदृष्टि फाउंडेशन के सदस्यों—
राजेश पारख, कुलवंत भाटिया, रवि कुकरेजा, प्रभु दयाल उजाला, हरमन दुलई, सुरेश जैन, यतीन्द्र चावड़ा—का अहम योगदान रहा।
श्री शंकराचार्य हॉस्पिटल के डॉ. संदीप बचकर एवं डॉ. निवेश ने कॉर्निया संग्रहण की प्रक्रिया पूरी की।
रवि कुकरेजा ने दी प्रेरणा
श्रीमती बजाज के निधन की सूचना मिलते ही परिवार के करीबी रिश्तेदार रवि कुकरेजा ने तुरंत बजाज परिवार से नेत्रदान की सहमति ली।
उन्होंने कहा—
“बजाज परिवार समाज का प्रतिष्ठित परिवार है। भाइन बाई बजाज के नेत्रदान से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और प्रतीक्षारत नेत्रहीनों को जल्द कॉर्निया उपलब्ध होंगे।”
नवदृष्टि फाउंडेशन द्वारा श्रद्धांजलि
नवदृष्टि फाउंडेशन की ओर से अनिल बल्लेवार, कुलवंत भाटिया, राज आढ़तिया, प्रवीण तिवारी, मुकेश आढ़तिया, मंगल अग्रवाल, रितेश जैन, जितेंद्र हासवानी, उज्जवल पींचा, सुरेश जैन सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने
श्रीमती भाइन बाई बजाज को श्रद्धांजलि दी और बजाज परिवार को साधुवाद दिया।
नेत्रदान: एक निर्णय जो जीवन बदल देता है
Bhain Bai Bajaj eye donation न सिर्फ दो नेत्रहीनों के लिए नई उम्मीद बनी है, बल्कि यह समाज में मानवता, सेवा और सद्भावना का गहरा संदेश भी छोड़ता है।
हर व्यक्ति के लिए यह प्रेरणा है कि मृत्यु के बाद भी किसी का जीवन रोशन किया जा सकता है।
