छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अमित बघेल की गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका खारिज की, कहा– अदालत जांच की ‘माइक्रोमैनेजमेंट’ नहीं कर सकती

रायपुर, 24 नवंबर 2025। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने Amit Baghel arrest petition dismissed मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी (JCP) के अध्यक्ष अमित बघेल की तत्काल गिरफ्तारी और कोर्ट-निगरानी में जांच की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभू दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहतें सीधे तौर पर किसी आपराधिक जांच की “जुडिशियल सुपरविजन” और “माइक्रोमैनेजमेंट” की श्रेणी में आती हैं, जो अदालत नहीं कर सकती।


⭐ FIR दर्ज हैं, जांच जारी है—कोर्ट

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि अमित बघेल “आदतन अपराधी” हैं और विभिन्न समुदायों के प्रति नफरत फैलाने, भड़काऊ बयान देने और आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने के कई मामले उनके खिलाफ दर्ज हैं।
हालाँकि अदालत ने साफ किया कि—

  • कई FIR पहले ही दर्ज हैं
  • जांच प्रक्रिया जारी है
  • जांच रोकने या कार्रवाई न करने का कोई ठोस प्रमाण याचिकाकर्ता प्रस्तुत नहीं कर सका

इस आधार पर अदालत ने तत्काल गिरफ्तारी की मांग को अस्वीकार कर दिया।


⭐ अदालत: गिरफ्तारी करवाना या जांच की दिशा तय करना हमारी भूमिका नहीं

अपने विस्तृत आदेश में न्यायमूर्ति बिभू दत्ता गुरु ने कहा कि—

  • महज़ यह कहना कि जांच की गति धीमी है, अदालत की असाधारण शक्ति (Article 226) के दुरुपयोग को उचित नहीं ठहरा सकता।
  • अदालत पुलिस को किसी व्यक्ति की अनिवार्य गिरफ्तारी का आदेश नहीं दे सकती।
  • जांच की दिशा, प्रकृति और गति तय करना जांच एजेंसी का विशेषाधिकार है।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि BNSS 2023 (धारा 528) का उपयोग भी इसी कारण नहीं किया जा सकता।


⭐ राज्य सरकार का पक्ष: “कोई इनएक्शन नहीं, जांच कानून के अनुसार”

राज्य के अधिवक्ता शलीन सिंह बघेल ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा—

  • पुलिस द्वारा कोई इनएक्शन नहीं हुआ है
  • FIR दर्ज हो चुकी हैं
  • जांच कानून के अनुसार प्रगति पर है
  • याचिकाकर्ता अदालत का उपयोग दबाव बनाकर गिरफ्तारी करवाने के लिए कर रहा है

राज्य ने यह भी कहा कि हर आरोप पर यांत्रिक रूप से दंडात्मक कार्रवाई करना कानून के अनुरूप नहीं है और राज्य को Article 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व सार्वजनिक व्यवस्था के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।


⭐ सुप्रीम कोर्ट के फैसले ‘स्वचालित गिरफ्तारी’ का आदेश नहीं देते—HC

अदालत ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा—

“सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच रोकने के लिए कड़े निर्देश जरूर दिए हैं, परंतु कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि हर आरोप पर स्वतः गिरफ्तारी अनिवार्य है।”

अदालत ने दोहराया कि अदालत तब ही हस्तक्षेप कर सकती है, जब—

  • जांच एजेंसी जानबूझकर निष्क्रिय हो,
  • मालाफाइड इरादा साबित हो,
  • या पूरी मशीनरी ठप पड़ी हो

चूंकि ऐसा कोई अपवादिक आधार सामने नहीं आया, इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।


⭐ अंतिम आदेश

खुलासा करते हुए हाईकोर्ट ने कहा—

  • मांगी गई राहत न तो विधिसम्मत है
  • न ही असाधारण परिस्थिति में आती है
  • इसलिए याचिका बरखास्त की जाती है

इसके साथ ही Amit Baghel arrest petition dismissed मामला समाप्त हुआ।

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