भारत के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार, 24 नवंबर 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई। उन्होंने यह शपथ हिंदी में लेते हुए संविधान की रक्षा और न्याय की निष्पक्षता बनाए रखने का संकल्प लिया।
एक वर्ष से अधिक का कार्यकाल, 9 फरवरी 2027 को होंगे सेवानिवृत्त
जस्टिस सूर्यकांत का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल एक वर्ष से थोड़ा अधिक रहेगा। वे 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।
उन्हें 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया गया था। अपनी सादगी और गहन न्यायिक दृष्टि के लिए वे हमेशा चर्चित रहे हैं।
हरियाणा के हिसार से निकलकर देश के शीर्ष न्यायाधीश बनने तक का सफर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ। उन्होंने यहीं से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। 1984 में उन्होंने महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की।
उनका कानूनी सफर हिसार जिला अदालत से शुरू हुआ, लेकिन 1985 में वे चंडीगढ़ चले गए और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।
कहानी यहीं नहीं रुकी—बहुत कम उम्र में प्रतिभा के बल पर वे 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने और 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला।
महत्वपूर्ण फैसलों में निभाई अहम भूमिका
अपने सुप्रीम कोर्ट कार्यकाल के दौरान जस्टिस सूर्यकांत कई बड़े और ऐतिहासिक मामलों का हिस्सा रहे—
- अनुच्छेद 370 हटाने संबंधी फैसला
- इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देने वाला ऐतिहासिक निर्णय
- पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई
- देशद्रोह कानून निलंबन से जुड़े महत्वपूर्ण विचार
इन फैसलों ने भारतीय न्याय व्यवस्था में नई दिशा तय की और जस्टिस सूर्यकांत को एक प्रखर न्यायविद के रूप में स्थापित किया।
उच्च न्यायालयों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ
- 9 जनवरी 2004: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जज नियुक्त
- अक्टूबर 2018: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने
इन सभी पदों ने उनके प्रशासनिक और न्यायिक अनुभव को और मजबूत किया।
देश को न्यायप्रिय नेतृत्व की उम्मीद — Justice Surya Kant 53rd CJI
उनके नियुक्त होने पर कानूनी समुदाय में उत्साह है। न्यायालय से जुड़े लोगों का कहना है कि Justice Surya Kant 53rd CJI के रूप में न्यायिक प्रणाली को नई मजबूती और पारदर्शिता मिल सकती है। उनकी कार्यशैली और फैसलों की गहराई उन्हें देश के सर्वाधिक सम्मानित न्यायाधीशों में शामिल करती है।
