Chhattisgarh News | 23 नवंबर 2025
छत्तीसगढ़ के शिक्षकों पर अब कक्षाओं की पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल परिसर के आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों पर भी नजर रखने की जिम्मेदारी आ गई है। छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 20 नवंबर को जारी आदेश ने प्रदेशभर में नई बहस छेड़ दी है।
🐕 आदेश में क्या कहा गया?
नए निर्देशों के अनुसार, शिक्षकों को स्कूल और आसपास के क्षेत्र में दिखने वाले आवारा कुत्तों की जानकारी ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, नगर निगम या डॉग क्रैचर नोडल अधिकारी को देना होगा।
इसके साथ ही कुत्तों की रोकथाम के लिए आवश्यक प्रबंधन करने का निर्देश भी शामिल है।
आदेश में यह भी साफ लिखा गया है कि
यदि किसी छात्र को कुत्ता काट ले तो शिक्षक उसे तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर उपचार कराएं।
इस नई जिम्मेदारी ने शिक्षकों के बीच असमंजस और नाराजगी दोनों बढ़ा दिए हैं।
😟 शिक्षक संगठनों की कड़ी आपत्ति
आदेश के बाद शिक्षक संगठनों ने इसे शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला निर्णय बताया है।
शिक्षक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कजेश कुमार ने NDTV से बातचीत में कहा—
“बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन आवारा कुत्तों की निगरानी करना शिक्षकों के काम का हिस्सा नहीं हो सकता। सरकार को यह आदेश वापस लेना चाहिए।”
कई शिक्षकों का कहना है कि इससे उनका मूल काम प्रभावित होगा और उन्हें अनावश्यक विवादों का सामना करना पड़ेगा।
🗳️ राजनीतिक मोर्चे पर भी बवाल
इस मसले पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा—
“शिक्षकों को पढ़ाने के बजाय आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी। टीचर बोले: हम पढ़ाएं या कुत्ते देखें? सरकार व्यवस्थाओं में सुधार के बजाय शिक्षकों से मनमाने काम करवा रही है।”
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग इस आदेश को “ओवरबर्डनिंग” और “व्यवस्था की नाकामी” बता रहे हैं।

🎒 शिक्षा व्यवस्था में बढ़ा दबाव
शिक्षक पहले ही गैर-शैक्षणिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं—जैसे सर्वे, मतदान कार्य, स्कूल डेटा मैनेजमेंट आदि। अब “कुत्ता निगरानी आदेश” ने उनके कामकाज पर और बोझ बढ़ा दिया है।
कई स्कूलों में शिक्षकों ने बताया है कि
“हम पढ़ाई पर ध्यान दें या कुत्तों की गिनती करें?”
🔍 आगे क्या?
शिक्षक संगठनों ने सरकार से आदेश वापस लेने की मांग की है। वहीं कई जिलों के अधिकारी इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं।
अब सभी की नजर इस बात पर है कि
क्या शिक्षा विभाग आदेश में बदलाव करेगा, या विवाद और बढ़ेगा।
