लद्दाख में चल रही राजनीतिक और सामाजिक हलचल के बीच एक महत्वपूर्ण बयान सामने आया है। Ladakh LG Kavinder Gupta Unequal Representation विषय पर खुलकर बोले और स्वीकार किया कि केंद्र सरकार के साथ हो रही बातचीत में ‘असंतुलित प्रतिनिधित्व’ को लेकर कुछ वर्गों में असंतोष है।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा गंभीर है और उन्होंने अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय (MHA) को भेज दी है।
एल-जी बोले— संवाद से हल होंगे सभी मुद्दे
कविंद्र गुप्ता ने कहा कि वार्ता ही समाधान का रास्ता है और केंद्र सरकार इस मामले पर जिम्मेदारी से विचार कर रही है। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि वार्ता चल रही होने के कारण किसी निष्कर्ष पर अभी टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।
बौद्ध समुदाय ने उठाया प्रतिनिधित्व का सवाल
इससे पहले लद्दाख बौद्ध संघ (LBA) के पूर्व अध्यक्ष तोन्दुप त्सेवांग छोस्पा ने प्रतिनिधि मंडल की संरचना पर सवाल खड़े किए थे। उनके अनुसार,
- बौद्ध समुदाय की आवाज़ पर्याप्त रूप से शामिल नहीं की गई,
- जबकि प्रतिनिधियों में मुस्लिम समुदाय का अनुपात अधिक है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बौद्ध समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला, तो उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक चिंताएँ बातचीत में परिलक्षित नहीं होंगी।
सोनाम वांगचुक पर टिप्पणी से एल-जी ने किया इनकार
जलवायु कार्यकर्ता सोनाम वांगचुक और 24 सितंबर को लद्दाख में हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए स्थानीय लोगों के मुद्दे पर एल-जी गुप्ता ने स्पष्ट कहा कि
“जब तक वार्ता जारी है, इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि वांगचुक के खिलाफ केस विशेष साक्ष्यों के आधार पर दर्ज किया गया है। अब निर्णय वार्ता के बाद लिया जाएगा।
LAB ने MHA को सौंपा 29 पेज का प्रस्ताव
राज्य का दर्जा और लद्दाख के लिए छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच,
Leh Apex Body (LAB) ने गृह मंत्रालय को 29 पन्नों का विस्तृत प्रस्ताव सौंपा है।
इस प्रस्ताव में
- लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा,
- स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी पर पुनर्विचार,
- और शासन व्यवस्था में संतुलित प्रतिनिधित्व
जैसी मांगें शामिल हैं।
वार्ता के परिणाम का इंतजार
लद्दाख में विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक समूह इस मुद्दे को लेकर एकजुट हैं। वहीं, केंद्र सरकार के साथ चल रही वार्ता से लोगों को उम्मीद है कि प्रतिनिधित्व और शासन से जुड़े मुद्दों पर समाधान निकलेगा।
