भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी द्वारा दायर Mehul Choksi extradition appeal अब निर्णायक चरण में पहुंच गई है। बेल्जियम की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कैसेशन 9 दिसंबर को इस अपील पर सुनवाई करेगी। यह मामला इसलिए अहम है क्योंकि इससे यह साफ होगा कि पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी चोकसी को भारत भेजने का रास्ता आसान होगा या फिर कानूनी लड़ाई और लंबी खिंचेगी।
🔹 एंटवर्प अपीलीय न्यायालय के फैसले को चुनौती
चोकसी ने बेल्जियम की शीर्ष अदालत में 17 अक्टूबर के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें एंटवर्प अपीलीय न्यायालय ने भारत सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध को “वैध” ठहराया था। अदालत ने माना था कि मुंबई की विशेष अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट पूरी तरह प्रवर्तनीय हैं।
इस फैसले से चोकसी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता लगभग साफ होता दिखा था। लेकिन अब चोकसी ने एक नई कानूनी जंग छेड़ दी है।
🔹 कोर्ट ऑफ कैसेशन क्या देखेगी?
एडवोकेट जनरल हेनरी वेंडरलिंडन के अनुसार, कोर्ट ऑफ कैसेशन केवल यह जांचेगी कि—
- क्या निचली अदालत ने कानून का सही उपयोग किया?
- क्या सही प्रक्रिया अपनाई गई?
अदालत नए साक्ष्य या नए तथ्य स्वीकार नहीं करेगी। सभी पक्ष केवल वही दलीलें आगे बढ़ा सकते हैं जो उन्होंने अपनी अपील में लिखित रूप में दी हैं।
यानी यह सुनवाई केवल कानूनी प्रक्रिया की वैधता पर आधारित होगी, न कि नए तर्कों पर।
🔹 13,000 करोड़ के PNB घोटाले में मुख्य आरोपी
एंटवर्प न्यायालय ने स्पष्ट कहा था कि चोकसी को भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर—
- उसे निष्पक्ष सुनवाई से वंचित नहीं किया जाएगा
- उसे कोई दुर्व्यवहार नहीं झेलना पड़ेगा
सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार:
- पूरे 13,000 करोड़ के पीएनबी घोटाले में
- अकेले चोकसी ने लगभग 6,400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की
यही राशि भारत सरकार की मांग का सबसे बड़ा आधार है।
🔹 कैसे भागा था चोकसी?
जनवरी 2018 में घोटाले का खुलासा होने से ठीक पहले—
- चोकसी एंटीगुआ और बारबुडा भाग गया
- बाद में वह बेल्जियम में इलाज के नाम पर देखा गया
भारत ने 27 अगस्त 2024 को बेल्जियम को औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा था।
🔹 9 दिसंबर: सबसे अहम तारीख
अब नजरें 9 दिसंबर की उस सुनवाई पर टिकी हैं, जहां कोर्ट ऑफ कैसेशन यह तय करेगी कि चोकसी की Mehul Choksi extradition appeal स्वीकार होगी या खारिज।
अगर अपील खारिज हो जाती है, तो चोकसी के भारत प्रत्यर्पण की राह लगभग साफ हो जाएगी।
अगर स्वीकार होती है, तो यह कानूनी लड़ाई और लंबी खिंच सकती है।
