मध्य प्रदेश की माओवादी विरोधी इकाई Hawk Force ने अपना एक बेहद बहादुर और निडर अधिकारी खो दिया। 40 वर्षीय इंस्पेक्टर आशीष शर्मा बुधवार, 19 नवंबर को माओवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में शहीद हो गए। जिस साहस के साथ उन्होंने अपनी टीम का नेतृत्व किया, वह किसी भी सैनिक-धर्म का सर्वोच्च उदाहरण है।
उनके शहीद होने की खबर ने सुरक्षा बलों, राज्य पुलिस और उनके पैतृक जिले गाडरवारा (नरसिंहपुर) में गहरा शोक पैदा कर दिया है।
भीषण मुठभेड़: गोलियां लगने के बाद भी संभाला मोर्चा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार सुबह लगभग 8:30 बजे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की संयुक्त पुलिस टुकड़ियों ने तीन राज्यों के त्रिकोणीय जंगल क्षेत्र में एक संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया था।
इसी दौरान माओवादियों ने सुरक्षा बलों पर अचानक हमला कर दिया। गोलीबारी इतनी तीव्र थी कि इंस्पेक्टर आशीष शर्मा के कंधे, पेट, जांघ और हाथ में कई गोलियां लगीं।
इसके बावजूद वे न केवल खड़े रहे, बल्कि अपनी टीम को सुरक्षित दिशा देने और जवाबी फायरिंग का नेतृत्व करते रहे। उनकी जांघ और पेट से लगातार खून बह रहा था, फिर भी वे जंगल के भीतर छिपे माओवादियों पर तब तक गोलियां चलाते रहे, जब तक कि वे ज़मीन पर गिर नहीं गए।
उन्हें तुरंत छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन वे बच नहीं सके।
हॉक फोर्स (Hawk Force) क्या है?
Hawk Force किसी राज्य की विशेष पुलिस इकाई होती है, जिसे तेज़ कार्रवाई, नक्सल उन्मूलन, आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन, और घने जंगलों में विशेष मिशन के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
यह यूनिट आधुनिक हथियारों, उन्नत प्रशिक्षण और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए जानी जाती है। मध्य प्रदेश की Hawk Force पूरे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सबसे सक्रिय एवं प्रभावी टुकड़ियों में गिनी जाती है।
दो बार वीरता पदक, बिना बारी के प्रमोशन और कई सफल ऑपरेशन
इंस्पेक्टर आशीष शर्मा नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के रहने वाले थे।
वे नौ साल पहले सब-इंस्पेक्टर के रूप में पुलिस में भर्ती हुए थे।
उनकी वीरता ऐसी थी कि उन्हें दो बार वीरता पदक मिल चुका था। फरवरी 2025 में बालाघाट जिले के रौंदा जंगल में महिला माओवादी कैडरों के खिलाफ सफल ऑपरेशन के बाद उन्हें बिना बारी के इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति दी गई।
विशेष महानिदेशक (नक्सल विरोधी अभियान) पंकज श्रीवास्तव ने कहा—
“हमने एक बहादुर अधिकारी खो दिया है। वे हमारे कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों की रीढ़ थे और उनके नेतृत्व ने हॉक फोर्स को कई बड़ी सफलताएँ दिलाईं।”

हिडमा के ढेर होने के बाद माओवादियों में बढ़ी बेचैनी
18 नवंबर को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर शीर्ष नक्सली कमांडर मादवी हिडमा के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद से माओवादी संगठनों में तनाव बढ़ा हुआ था। माना जा रहा है कि इसी बेचैनी के चलते वे अलग-अलग इलाकों में आक्रामक प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
इसी पृष्ठभूमि में इंस्पेक्टर आशीष शर्मा जिस संयुक्त अभियान का नेतृत्व कर रहे थे, वह बेहद संवेदनशील और जोखिमपूर्ण था।
सुरक्षा बलों को भी मिली बड़ी सफलता
विशेष महानिदेशक पंकज श्रीवास्तव ने यह भी पुष्टि की कि मुठभेड़ में माओवादी पक्ष को भी भारी नुकसान हुआ है।
हालांकि, माओवादियों के हताहतों की सटीक संख्या पूरे ऑपरेशन के खत्म होने के बाद ही सामने आएगी।
एक साहसी योद्धा को देश का सलाम
Hawk Force Inspector Ashish Sharma ने जिस बहादुरी, कर्तव्यनिष्ठा और त्याग का प्रदर्शन किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
उनकी शहादत यह याद दिलाती है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम कर रहे सुरक्षा बल कितनी चुनौतियों के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर देश को सुरक्षित रखते हैं।
