रायपुर। छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता (Advocate General) और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रफुल्ल भरत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा 17 नवंबर से प्रभावी माना गया है। भरत ने अपना त्यागपत्र राज्यपाल को भेजते हुए सरकार, मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है।
उनके अचानक इस्तीफे ने राज्य की कानूनी और राजनीतिक हलचल के बीच नई चर्चा छेड़ दी है।
राज्यपाल को लिखे पत्र में व्यक्त की आभार भावना
प्रफुल्ल भरत ने अपने पत्र में कहा—
“मैं मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और उनके कैबिनेट सहयोगियों से मिली सहयोग भावना के लिए कृतज्ञ हूँ। साथ ही, मैं उन सभी प्रशासनिक अधिकारियों का भी आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने एक कल्याणकारी राज्य के हितों की रक्षा जैसे कठिन दायित्व को निभाने में सहयोग दिया।”
उनके बयान से यह साफ झलकता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल को एक जिम्मेदार और चुनौतीपूर्ण अवधि के रूप में देखा।
लंबा और प्रतिष्ठित कानूनी करियर
प्रफुल्ल भरत का कानूनी सफर लगभग तीन दशकों से भी अधिक का रहा है।
- 1992 में उन्होंने मध्यप्रदेश बार काउंसिल (जबलपुर) में नामांकन कराया।
- शुरुआत में वे जगदलपुर जिला अदालत में प्रैक्टिस करते रहे।
- 1995 से 2000 तक उन्होंने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपनी सेवाएँ दीं।
- इसके बाद नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के साथ वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर में प्रैक्टिस करने लगे।
उनकी पहचान एक शांत, संयमी और दक्ष कानूनी विशेषज्ञ के रूप में रही है।
पूर्व में भी निभा चुके हैं जिम्मेदार पद
प्रफुल्ल भरत ने 2014 से 2018 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Advocate General) के रूप में कार्य किया था।
जून 2021 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) की उपाधि प्रदान की गई।
इसके बाद जनवरी 2024 में वे छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता नियुक्त हुए।
अपने पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य सरकार के हितों का प्रतिनिधित्व हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से किया।

इस्तीफे के बाद नए महाधिवक्ता पर सभी की नजर
भरत के इस्तीफे के बाद अब यह चर्चा तेज हो गई है कि राज्य सरकार आगे किसे नया महाधिवक्ता नियुक्त करेगी।
कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पद अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि महाधिवक्ता न केवल राज्य का शीर्ष कानूनी अधिकारी होता है बल्कि सरकार की नीतियों और फैसलों की न्यायिक रक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी भी उसी पर होती है।
फिलहाल, सरकार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
