छत्तीसगढ़ के 25 वर्षों की संसदीय यात्रा: विशेष सत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने अटल जी की दृष्टि और सांस्कृतिक धरोहर को किया नमन

रायपुर, 18 नवंबर 2025।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में आज राज्य की 25 वर्षों की संसदीय यात्रा का ऐतिहासिक स्मरण किया गया। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने भावपूर्ण संबोधन देते हुए कहा कि “आज का छत्तीसगढ़ स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की दूरदृष्टि का परिणाम है।”
उन्होंने कहा कि हालांकि प्रशासनिक रूप से राज्य 25 वर्ष पहले बना, लेकिन इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत हजारों वर्षों पुरानी है।


छत्तीसगढ़ नाम की ऐतिहासिक जड़ें—कल्चुरी शासन से कवि दलपत तक

अपने संबोधन में मंत्री जायसवाल ने छत्तीसगढ़ की प्राचीन पहचान को बेहद मानवीय स्पर्श के साथ याद किया। उन्होंने कहा कि

  • 15वीं सदी में कवि दलपत राव ने पहली बार “छत्तीसगढ़” शब्द का उल्लेख किया था।
  • कल्चुरियों के 1,000 वर्षों के शासन में रतनपुर और रायपुर राजधानी रहे।
  • इसी काल में 36 गढ़ों के आधार पर क्षेत्र को “छत्तीसगढ़” कहा जाने लगा।

उन्होंने कहा कि इस इतिहास की गूँज लोगों के जीवन, परंपराओं, लोककला और बोली में आज भी साफ सुनाई देती है।


भुखमरी से विकास तक—मध्य प्रदेश का हिस्सा रहते संघर्ष, और फिर तेज तरक्की

स्वास्थ्य मंत्री ने भावुक स्वर में कहा कि एक समय था जब आज का छत्तीसगढ़

  • भुखमरी,
  • पलायन,
  • और मूलभूत सुविधाओं की कमी
    के लिए जाना जाता था।

लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, विशेषकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में, राज्य ने सिर्फ 15 वर्षों में देश के बड़े राज्यों की बराबरी करते हुए तेज विकास का रास्ता अपनाया।

जायसवाल ने कहा, “अटल जी ने जिस उद्देश्य से राज्य का निर्माण किया था, छत्तीसगढ़ वही लक्ष्य लेकर लगातार 25 वर्षों से आगे बढ़ रहा है।”


महान विभूतियों को नमन—‘उनके बिना छत्तीसगढ़ का निर्माण संभव नहीं था’

सत्र के अंत में स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य निर्माण में योगदान देने वाले

  • समाज सुधारकों,
  • जननायकों,
  • संघर्ष करने वाले पुरखों
    और छत्तीसगढ़ की अस्मिता को बचाए रखने वाली विभूतियों को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा:
“हमारी जिम्मेदारी सिर्फ विकास तक सीमित नहीं है। हमें अपनी संस्कृति, इतिहास और पारंपरिक विरासत को सुरक्षित रखना है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस समृद्ध विरासत को समझ सकें।”


छत्तीसगढ़ का यह विशेष सत्र न केवल 25 वर्षों की संसदीय यात्रा की समीक्षा है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि यह भूमि—संस्कृति, संघर्ष, समृद्धि और स्वाभिमान की हजारों साल पुरानी कथा है।
और यह यात्रा आज भी उसी प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रही है।

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