नारायणपुर के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे अबूझमाड़ के टोके गांव की तस्वीर अब तेजी से बदल रही है। कभी नक्सलियों का गढ़ रहा यह इलाका अब “Toke new security camp Maad Bachao Abhiyan” के तहत सुरक्षा और विकास की नई राह पर आगे बढ़ रहा है। ओरछा तहसील के इस दूरस्थ गांव में सुरक्षा बलों का 15वां नया कैम्प स्थापित किया गया है, जिसने वर्षों से यहां पसरे भय और अलगाव को कम करना शुरू कर दिया है।
⭐ villagers का नया सवेरा: अब रास्ते चौड़े, पुल बन रहे, डर कम हो रहा
टोके गांव कोहकामेटा से 17 किमी, इरकभट्टी से 11 किमी और कछ्छापाल से 5 किमी दूर है। पहाड़ों और घने जंगलों से घिरे इस इलाके में कभी IED बमों का जाल बिछा रहता था। सिर्फ तीन महीने पहले यहां भारी मात्रा में IED बरामद किए गए थे।
लेकिन अब वही संकरी पगडंडियां चौड़ी ग्रेवल सड़कों में बदल रही हैं। JCB मशीनें लगातार पुल और रास्ते तैयार कर रही हैं। लंबे समय तक मुख्यधारा से कटे ग्रामीण अब आसानी से आवाजाही कर पा रहे हैं।
⭐ सुरक्षा बलों ने संभाली जिम्मेदारी, नक्सली ट्रेनिंग स्पॉट हुआ ‘सिविक एक्शन’ का केंद्र
BSF की 135वीं और 133वीं बटालियन के जवान—कमांडेंट कमल शर्मा और नवीन सिंह के नेतृत्व में—अब इस नए सुरक्षा कैम्प की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कैम्प के पास ही एक विशाल मेंढक-आकृति वाली चट्टान है, जिसे ग्रामीण देवी-देवताओं का वाहन मानते हैं।
जो जगह कभी नक्सलियों का ट्रेनिंग केन्द्र थी, वहीं आज बच्चे बिना किसी डर के खेलते दिखाई देते हैं।
⭐ आज़ादी के बाद पहली बार हुआ स्वास्थ्य शिविर, मालेरिया और कुपोषण सामने आया
BSF और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से स्वतंत्रता के बाद पहली बार टोके में स्वास्थ्य शिविर लगा। ओरछा ब्लॉक मेडिकल अधिकारी की मौजूदगी ने ग्रामीणों में उत्साह भर दिया।
जाँच में कई चिंताजनक बातें सामने आईं—
- अधिकांश बच्चे कुपोषित
- कई लोग मलेरिया, एनीमिया और त्वचा रोग से पीड़ित
- मामूली बीमारियों का इलाज मौके पर
- गंभीर मरीजों को BSF की मदद से जिला अस्पताल भेजा जा रहा है
एक ग्रामीण महिला ने कहा—
“पहले बीमारी से डर लगता था, अब डॉक्टर हमारे घर तक आ रहे हैं।”
⭐ SP ने सुनी जनता की समस्याएं, बिजली-पानी-सड़क-स्कूल का आश्वासन
नारायणपुर SP रॉबिनसन गुडिया ने मूसर, मापंगल, कोडेनार, बुरुम और कोंडाहुर के ग्रामीणों से मुलाकात की।
ग्रामीणों ने बिजली, साफ पानी, पक्की सड़क, स्कूली सुविधा और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग रखी।
SP ने शिकायत निवारण शिविर के माध्यम से त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिया।
एक बुजुर्ग ग्रामीण बोले—
“पहले नक्सली आकर धमकाते थे, अब पुलिस है। अब हम डर के बिना जी सकेंगे।”
⭐ अभियान का प्रभाव: नक्सल नेटवर्क टूट रहा
“Maad Bachao Abhiyan” के चलते 2024 से अब तक—
- 208 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं
- 99 मारे गए
- 117 गिरफ्तार किए गए
अभियान के तहत अबूझमाड़ में पहले से कैम्प हैं—कुटुल, कोडलीार, बेडमकोटी, पदमकोट, कंदुलपार, नेलांगुर, पांगुड, रायनार, अदजुम, इदवाया, अडेर, कुदमेल, कोंगे और सीताराम।
⭐ निष्कर्ष: अबूझमाड़ में विकास और सुरक्षा का नया दौर
Toke new security camp Maad Bachao Abhiyan की स्थापना से यह साफ हो चुका है कि अबूझमाड़ तेजी से बदल रहा है।
सुरक्षा, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं यहाँ के जीवन को नई दिशा दे रही हैं।
वर्षों बाद ग्रामीणों को पहली बार डर से आज़ादी और बेहतर भविष्य की उम्मीद दिख रही है।
