भिलाई (छत्तीसगढ़):
आईआईटी भिलाई परिसर में बुधवार-गुरुवार की रात छात्र सोमिल साहू की मौत को लेकर छात्रों ने कैंडल मार्च निकालकर प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं इस प्रदर्शन में शामिल हुए। हालांकि, संस्थान प्रशासन ने उन्हें कैंपस से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी, जिस पर छात्रों ने नाराजगी जताई।
छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी छीन रहा है। उनका कहना था कि वे केवल शांतिपूर्ण तरीके से न्याय की मांग करना चाहते थे और उन्हें बाहर निकलकर प्रदर्शन करने दिया जाना चाहिए था।
🕯️ कैंपस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन, छात्रों की आंखों में गुस्सा और गम
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने गेट नंबर-2 के अंदर बैठकर मौन विरोध किया। हर छात्र के हाथ में मोमबत्तियां थीं और तख्तियों पर लिखा था — “न्याय दो सोमिल को” और “दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो”।
छात्रों ने कहा कि 1500 छात्रों के लिए केवल एक एम्बुलेंस है और उसमें भी पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सोमिल साहू को समय पर इलाज नहीं मिल पाया। मेडिकल यूनिट के डॉक्टर दो बार अनुपस्थित रहे, और जब आए तो उन्होंने केवल पैरासिटामोल और ओआरएस देकर रवाना कर दिया। छात्रों ने यह भी बताया कि नर्स द्वारा उपयोग किए गए बीपी और जांच उपकरण खराब थे।
🏥 प्रशासन ने निलंबित किया मेडिकल अधिकारी, जांच समिति गठित
इस बीच, आईआईटी भिलाई प्रशासन ने देर शाम एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की।
संस्थान ने बताया कि मेडिकल अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। अब स्वास्थ्य केंद्र में 24×7 डॉक्टर और एम्बुलेंस सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश ने दुर्ग कलेक्टर से एक सरकारी डॉक्टर की नियुक्ति का अनुरोध किया, जिस पर कलेक्टर ने सहमति दी है। साथ ही, एम्स, स्थानीय मेडिकल कॉलेज और छात्र प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक तथ्य-अन्वेषण समिति गठित की गई है, जो 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी।
🗣️ छात्रों की भावनाएं और प्रशासन की प्रतिक्रिया
छात्रों का कहना है कि यह सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता है। उनका कहना है कि अगर चिकित्सा सुविधा समय पर मिलती, तो सोमिल की जान बचाई जा सकती थी।
वहीं, आईआईटी भिलाई के निदेशक राजीव प्रकाश ने कहा कि,
“पुलिस जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मीडिया को भी पुलिस के साथ अंदर बुलाया गया और हमने पूरी जानकारी साझा की। भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।”
🔍 न्याय की मांग और सुधार की उम्मीद
छात्रों ने प्रशासन से यह भी मांग की है कि परिसर में स्थायी मेडिकल टीम, बेहतर एम्बुलेंस सुविधा और इमरजेंसी सिस्टम सुनिश्चित किया जाए।
उनका कहना है कि यह आंदोलन किसी के खिलाफ नहीं बल्कि बदलाव की मांग है, ताकि भविष्य में किसी और छात्र को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।
✅ निष्कर्ष
IIT Bhilai student death candle march ने न केवल संस्थान बल्कि पूरे शिक्षा जगत का ध्यान इस ओर खींचा है कि कैंपस में स्वास्थ्य सेवाएं कितनी जरूरी हैं।
अब सबकी निगाहें उस जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो आने वाले दिनों में इस दुखद घटना के कारणों पर रोशनी डालेगी।
