दिल्ली में घना स्मॉग, वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्तर पर; नागरिकों का विरोध प्रदर्शन, सरकार से कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली:
Delhi Air Pollution Smog Crisis 2025: राजधानी दिल्ली सोमवार सुबह घने स्मॉग की चादर में लिपटी रही। हवा में जहर घुल चुका था और लोगों की सांसें भारी पड़ रही थीं। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 344 पर पहुंच गया — जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार ‘गंभीर’ और खतरनाक स्तर है।


📣 नागरिकों का गुस्सा उफान पर, इंडिया गेट पर प्रदर्शन

Delhi Air Pollution Smog Crisis 2025: रविवार देर रात, सैकड़ों लोग इंडिया गेट पर इकट्ठा हुए। इनमें माता-पिता, छात्र और पर्यावरण कार्यकर्ता शामिल थे। सभी के चेहरे पर मास्क और हाथों में तख्तियां थीं — एक पर लिखा था, “I miss breathing” (मुझे सांस लेना याद आता है)।

दिल्ली निवासी मेघना ने कहा,

“मैं यहां किसी संगठन की नहीं, बल्कि एक चिंतित नागरिक के रूप में आई हूं। हम जिस हालात में जी रहे हैं, वह हमारे बच्चों के भविष्य के लिए डरावना है।”

पुलिस ने बाद में पोस्टर और बैनर जब्त किए और प्रदर्शनकारियों से बिना अनुमति के सभा समाप्त करने को कहा।


🧬 ‘सांसों का संकट’ बना दिल्ली का सर्द मौसम

हर साल की तरह इस बार भी सर्दियों के साथ प्रदूषण का संकट लौट आया है। ठंडी और धीमी हवाओं के कारण धुएं के कण वायुमंडल में फंस गए हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया है।

दिल्ली और आसपास के इलाकों की आबादी तीन करोड़ से अधिक है। स्विट्ज़रलैंड आधारित संस्था IQAir की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से छह भारत में हैं — और दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है।


🌾 फसल जलाने से लेकर वाहनों तक, कई कारण

हर सर्दी में दिल्ली की हवा इसलिए और जहरीली हो जाती है क्योंकि

  • पंजाब और हरियाणा के किसान फसल अवशेष जलाते हैं,
  • ठंडी और शुष्क हवाएँ धुएं को फंसा देती हैं,
  • और ऊपर से वाहनों व उद्योगों से निकलने वाला धुआं मिलकर वातावरण को विषैला बना देता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की हवा WHO की सीमा से 20 गुना अधिक प्रदूषित हो चुकी है।


⚙️ अधिकारियों की तात्कालिक कार्रवाई, लेकिन स्थायी समाधान नहीं

स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने

  • निर्माण कार्य अस्थायी रूप से रोकने,
  • डीजल जनरेटर बंद करने,
  • और क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) की पहल जैसी अस्थायी व्यवस्थाएँ की हैं।

हालांकि पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि

“यह केवल तात्कालिक कदम हैं। असली राहत तभी मिलेगी जब सरकार दीर्घकालिक उत्सर्जन नियंत्रण नीतियाँ लागू करेगी।”


😷 लोगों में बढ़ती चिंता और स्वास्थ्य पर असर

स्मॉग के कारण दिल्लीवासियों में सिरदर्द, गले में जलन और खांसी जैसी शिकायतें बढ़ गई हैं। कई अस्पतालों में श्वसन रोगियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।

निवासी अब सरकार से स्थायी नीति और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।


🌍 निष्कर्ष: दिल्ली को चाहिए स्थायी समाधान, न कि अस्थायी राहत

दिल्ली का स्मॉग संकट अब हर साल दोहराई जाने वाली कहानी बन चुका है। नागरिकों के लिए यह केवल असुविधा नहीं, बल्कि सांसों की जंग बन गया है। सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है — विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ स्वच्छ हवा में सांस ले सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *