बेंगलुरु की मशहूर परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल एक बार फिर चर्चा में है।
सोशल मीडिया पर कैदियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल और टीवी देखते हुए वीडियो वायरल होने के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
📱 कैदी मोबाइल और टीवी का आनंद लेते दिखे
जेल के अंदर से सामने आए वीडियो में कई कुख्यात कैदी मोबाइल पर बात करते और टीवी देखते दिख रहे हैं।
इनमें तेलुगू अभिनेता तरुण, आईएसआईएस भर्ती मामलों में आरोपी शकील मन्ना, और सीरियल रेपिस्ट उमेश रेड्डी जैसे नाम शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि शकील मन्ना जेल के अंदर से अपने साथियों से संपर्क में था, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ गई है।
📸 वीडियो वायरल, जेल प्रशासन ने शुरू की जांच
ये वीडियो भले ही पुराने बताए जा रहे हों, लेकिन जैसे ही वे सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जेल प्रशासन ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
अधिकारियों के अनुसार, यह पता लगाया जा रहा है कि वीडियो असली हैं या नहीं और अगर हां, तो कैदियों तक मोबाइल फोन कैसे पहुंचे।
⚖️ यह पहली बार नहीं — पहले भी मिले थे VIP ट्रीटमेंट के सबूत
यह कोई पहली बार नहीं है जब परप्पना अग्रहारा जेल चर्चा में आई हो।
पिछले साल कन्नड़ अभिनेता दर्शन तूगुदीपा की तस्वीरें सामने आई थीं, जिसमें वे कुर्सी पर बैठकर कॉफी पीते और सिगरेट पीते दिखे थे।
इसके अलावा, अक्टूबर में कुख्यात गुंडा श्रीनिवास उर्फ गुब्बाची सीना का जेल में जन्मदिन मनाते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह केक काटते और सेब की माला पहने नजर आए।
इन घटनाओं ने एक बार फिर जेल की सुरक्षा, निगरानी और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
🗣️ गृहमंत्री जी. परमेश्वर का सख्त रुख
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा है कि इस तरह की घटनाएं अस्वीकार्य हैं और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा —
“ऐसी चीज़ें बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। अगर यह जारी रहा तो इसे जेल नहीं कहा जा सकता। मैंने वरिष्ठ अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। अगर रिपोर्ट संतोषजनक नहीं हुई, तो हम अलग जांच समिति बनाएंगे।”
परमेश्वर ने बताया कि उन्होंने आईपीएस अधिकारी बी. दयानंद को जांच का जिम्मा सौंपा है और जल्द ही उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि “भले ही वीडियो पुराने हों, लेकिन जेल में मोबाइल या विशेष सुविधा मिलना किसी भी स्थिति में गलत है।”
🚨 सुरक्षा सुधार की मांग तेज
इस विवाद के बाद जेल सुरक्षा सुधार की मांग एक बार फिर तेज हो गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च जोखिम वाले कैदियों के लिए निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करना होगा, अन्यथा ऐसे मामले दोहराए जा सकते हैं।
