Afghanistan Pakistan peace talks: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच इस्तांबुल में चल रही शांति वार्ता आखिरकार टूट गई है। हालांकि, तालिबान ने स्पष्ट किया है कि युद्धविराम अभी भी लागू रहेगा और अफगानिस्तान की ओर से उसका उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
⚔️ तालिबान का बयान — पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी नहीं
तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने शनिवार को कहा कि वार्ता इसलिए विफल हुई क्योंकि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से उसकी आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की मांग की थी।
मुजाहिद ने कहा —
“हमने युद्धविराम का पालन किया है और आगे भी करेंगे, लेकिन पाकिस्तान की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेना हमारी क्षमता से बाहर है।”
🕊️ पाकिस्तान की पुष्टि — इस्तांबुल वार्ता नाकाम
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने शुक्रवार को कहा कि वार्ता असफल रही है।
उन्होंने बताया कि इस्तांबुल में हुई बैठक का उद्देश्य सीमा पर फिर से हिंसा रोकना था, लेकिन बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।
आसिफ ने यह भी कहा कि जब तक अफगानिस्तान की ओर से कोई हमला नहीं होता, तब तक युद्धविराम लागू रहेगा।
🔫 सीमा पर तनाव और गोलीबारी का दौर
वार्ता टूटने से एक दिन पहले ही अफगान और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई थी। यह मुठभेड़ उस समय हुई जब दोनों देशों के प्रतिनिधि इस्तांबुल में दूसरी दौर की बातचीत शुरू कर रहे थे।
इससे पहले, पिछले महीने सीमा पर हुई झड़पों में दर्जनों लोगों की मौत हुई थी, जो 2021 में तालिबान की सत्ता वापसी के बाद की सबसे हिंसक घटना मानी जा रही है।
🇹🇷 तुर्की की मध्यस्थता और एर्दोआन की उम्मीद
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने शनिवार को बाकू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की और उम्मीद जताई कि बातचीत स्थायी स्थिरता की दिशा में परिणाम देगी।
तुर्की ने फिर से दोनों देशों के बीच संवाद को जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है।
🧭 काबुल-इस्लामाबाद संबंधों में बढ़ती खाई
एक समय पाकिस्तान और तालिबान के बीच करीबी संबंध थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं।
अक्टूबर में पाकिस्तान ने काबुल सहित कई स्थानों पर हवाई हमले किए थे, जिनका लक्ष्य पाकिस्तानी तालिबान (TTP) के नेता बताए गए।
इसके बाद दोनों देशों के बीच सीमा संघर्ष और कूटनीतिक तनाव तेजी से बढ़ गया।
🕊️ दोनों देशों के बीच अस्थायी युद्धविराम अब भी जारी
अक्टूबर 2024 में दोहा में हुए समझौते के बाद दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई थी।
हालांकि, इस्तांबुल में हुई दूसरी दौर की वार्ता किसी दीर्घकालिक समाधान तक नहीं पहुंच सकी।
वार्ता टूटने के बावजूद दोनों पक्षों ने फिलहाल युद्धविराम बनाए रखने की बात कही है।
