पुणे, 8 नवम्बर: महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचाने वाले बहु-करोड़ रुपये के ज़मीन सौदे में अब नया मोड़ आ गया है। पुणे के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन ने इस विवादित भूमि सौदे को लेकर एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार के सहयोगी दिग्विजय पाटिल और शीतल तेजवानी के नाम सामने आए हैं।
यह मामला अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी (Amadea Enterprises LLP) से जुड़ा है, जिसके निदेशक पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल हैं। वहीं, शीतल तेजवानी के पास इस जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी था। जांच एजेंसियों के अनुसार, यह जमीन “महार वतन भूमि” श्रेणी में आती है, जिससे संबंधित लेन-देन में कानूनी अनियमितताओं की आशंका जताई जा रही है।
🔍 मामला कैसे शुरू हुआ
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा विवाद तब सामने आया जब पुणे में करोड़ों की भूमि के स्वामित्व को लेकर अनियमितता की शिकायत मिली। जांच के बाद पाया गया कि भूमि के हस्तांतरण में नियमों का उल्लंघन हुआ है। इस पर रजिस्ट्रेशन विभाग ने कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई।
पुलिस के मुताबिक, फिलहाल एफआईआर में पार्थ पवार का नाम नहीं है, लेकिन दिग्विजय पाटिल और शीतल तेजवानी को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
👤 दिग्विजय पाटिल कौन हैं?
25 वर्षीय दिग्विजय पाटिल, अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के भतीजे हैं। वे और पार्थ पवार तीन एलएलपी कंपनियों के निदेशक हैं — महाराष्ट्र रीडेवलपमेंट कंस्ट्रक्शन एलएलपी, अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी, और अमाडिया होल्डिंग्स एलएलपी। इन कंपनियों का पता पुणे के शिवाजीनगर इलाके में दर्ज है।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, दिग्विजय के पिता अमरसिंह पाटिल गांव तेर के सरपंच रहे थे और 2020 में उनका निधन हुआ। वे परिवार से दूर रहकर खेती करते थे, जबकि दिग्विजय शांत स्वभाव के युवक बताए जाते हैं।
⚖️ शीतल तेजवानी पर पहले भी लगे हैं धोखाधड़ी के आरोप
शीतल तेजवानी का नाम इससे पहले भी 2018 के सेवा विकास बैंक घोटाले में सामने आ चुका है। इस मामले में उनके पति सागर सूर्यवंशी को 2023 में ईडी ने गिरफ्तार किया था। आरोप था कि दोनों ने बैंक से ₹60 करोड़ से अधिक की राशि धोखाधड़ी से निकाली थी।
2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सागर सूर्यवंशी को ज़मानत दी थी, लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा था कि धन की हेराफेरी की कड़ी शीतल तेजवानी के खाते से जुड़ी हुई थी। इसके बावजूद जांच एजेंसियों ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था।
🧩 राजनीतिक हलचल तेज
इस पूरे प्रकरण ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इसे “पवार परिवार के हितों से जुड़ा भ्रष्टाचार मामला” बताया है, जबकि एनसीपी के नेताओं का कहना है कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और कानून को अपना काम करने दिया जाए।
🧠 निष्कर्ष
यह मामला न केवल राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील है, बल्कि यह महाराष्ट्र के ज़मीन प्रबंधन और पंजीकरण प्रणाली की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करता है। फिलहाल जांच एजेंसियां साक्ष्यों को जुटा रही हैं, और आने वाले दिनों में कई नए खुलासे हो सकते हैं।
