गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान को एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। राज्य के गरियाबंद जिले में अंतिम सक्रिय नक्सली सुनील उर्फ जगतार सिंह, जिसने करीब दो दशक तक नक्सल आंदोलन में काम किया और जिसके सिर पर 8 लाख रुपये का इनाम था, ने शुक्रवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
इस आत्मसमर्पण के साथ ही गरियाबंद जिला नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है — जो सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है।
हरियाणा के थंदाद गांव का रहने वाला था सुनील
सुनील हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के थंदाद गांव का निवासी है। वर्ष 2004 में उसने नक्सल आंदोलन से जुड़ने का फैसला किया और हरियाणा के यमुनानगर में ‘शिवालिक जनसंघर्ष मंच’ नामक संगठन के जरिये प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) से संपर्क साधा।
दिल्ली में उसने वरिष्ठ नक्सली विचारकों सीसी लंका पापारेड्डी और सीसी सुब्रमण्यम से मुलाकात की और शहरी नेटवर्क में काम शुरू किया। 2006 और 2008 में उसे गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन रिहाई के बाद वह फिर सक्रिय हो गया।
ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा से सक्रिय था सुनील
2015 में हिमाचल प्रदेश के बद्दी में उसकी मुलाकात नक्सली नेता मंदीप से हुई, जिसके बाद वह ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के खदुपानी जंगल पहुंचा। यहीं उसने वरिष्ठ नेता संग्राम उर्फ मुरली से मुलाकात की और औपचारिक रूप से हथियारबंद दल में शामिल हुआ।
2016 में वह सिनापाली एरिया कमेटी सदस्य (ACM) बना, जबकि 2018 में उसे डिप्टी डिवीजनल कमेटी सदस्य (DVCM) और बाद में इंदागांव एरिया कमांडर की जिम्मेदारी मिली। इसी दौरान उसकी मुलाकात नक्सली कार्यकर्ता आरिना टेकाम से हुई और दोनों ने 2018 में विवाह किया।
37 लाख इनाम वाले 7 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
सुनील के साथ कुल 7 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिन पर कुल 37 लाख रुपये का इनाम था। इनमें सुनील और उसकी पत्नी आरिना दोनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
गरियाबंद हुआ नक्सल मुक्त
अधिकारियों ने बताया कि यह आत्मसमर्पण “ऐतिहासिक क्षण” है, क्योंकि अब गरियाबंद में संगठित नक्सली गतिविधि समाप्त हो चुकी है। पिछले वर्षों में लगातार चलाए गए गुप्तचर अभियान, पुनर्वास योजनाओं और पुलिस की रणनीति ने इस बदलाव को संभव बनाया।
राज्य में आत्मसमर्पण की नई लहर
अक्टूबर 2025 में भी छत्तीसगढ़ में 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें एक केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश भी शामिल था। 2001 से 2025 के बीच अब तक 7,826 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं — जिनमें सिर्फ 2025 में ही 1,319 नक्सली शामिल हैं, जो दो दशकों में सबसे अधिक संख्या है।
“यह शांति की दिशा में बड़ा कदम”
अधिकारियों ने कहा कि गरियाबंद अब उन जिलों में शामिल हो गया है जहां नक्सल नेटवर्क पूरी तरह खत्म हो चुका है। यह साबित करता है कि यदि पुलिस, स्थानीय समुदाय और पुनर्वास नीति मिलकर काम करें तो सबसे मजबूत उग्रवादी नेटवर्क को भी समाप्त किया जा सकता है।
