नई दिल्ली:
महादेव बेटिंग ऐप केस से जुड़ा एक चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। इस बहु-करोड़ रुपये के ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले के मुख्य आरोपी रवि उप्पल दुबई से ‘लापता’ हो गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के लिए यह खबर एक बड़ा झटका है, क्योंकि भारत सरकार उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को लेकर दो साल से कोशिश कर रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, दुबई अधिकारियों ने भारत को सूचित किया है कि रवि उप्पल अब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में नहीं है। बताया गया है कि वह किसी अनिर्दिष्ट स्थान के लिए रवाना हो गया है। इसके साथ ही उसका प्रत्यर्पण फिलहाल रोक दिया गया है।
दुबई में दिसंबर 2023 में उप्पल को इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। उसे 45 दिन बाद ज़मानत मिल गई थी, लेकिन वह निगरानी में था। अब लगभग दो साल बाद वह फिर से गायब है, और UAE ने भारत को दस्तावेजों की देरी का हवाला देकर प्रत्यर्पण निलंबित करने का प्रस्ताव दिया है।
हालांकि, ED का कहना है कि सभी जरूरी दस्तावेज समय पर सौंपे गए थे और UAE की दलीलें “भ्रमित करने वाली” हैं।
इस बीच, महादेव बेटिंग ऐप केस के दूसरे आरोपी सौरभ चंद्राकर अभी भी दुबई की निगरानी में हैं। दिसंबर 2024 में गिरफ्तारी के बाद उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा गया था।
🔍 वानुआतु कनेक्शन
सूत्रों के अनुसार, रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर ने दक्षिण प्रशांत महासागर के द्वीप देश वानुआतु की नागरिकता ली थी। दोनों ने वहां संपत्तियाँ खरीदी थीं और कथित तौर पर अपनी क्रिमिनल नेटवर्क को वहाँ से संचालित करने की योजना बनाई थी।
वानुआतु की राजधानी पोर्ट विला ऑस्ट्रेलिया से करीब 2,000 किलोमीटर दूर है और भारत के साथ उसका कोई प्रत्यर्पण समझौता नहीं है, जिससे उप्पल की गिरफ्तारी अब और मुश्किल हो गई है।
💰 क्या है महादेव बेटिंग ऐप केस
साल 2018 में शुरू हुआ महादेव ऐप नेटवर्क हर दिन करीब 200 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रहा था। इसके जरिए देशभर में 3,200 से अधिक बेटिंग पैनल संचालित किए जाते थे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 6,000 करोड़ रुपये का यह नेटवर्क भारत, दुबई, मलेशिया और थाईलैंड तक फैला था। लगभग 3,500 लोग सिर्फ दुबई ऑपरेशन में शामिल थे।
ED के मुताबिक, इस नेटवर्क के कई राजनेताओं, पुलिस अधिकारियों और ब्यूरोक्रेट्स से संबंध थे। इन्हीं संबंधों के दम पर ऐप लंबे समय तक जांच एजेंसियों की निगाहों से बचा रहा।
⚖️ राजनीतिक हलचल
महादेव बेटिंग ऐप केस ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी भूचाल ला दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर 508 करोड़ रुपये की रकम लेने के आरोप लगे थे, हालांकि उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
🔚 निष्कर्ष
रवि उप्पल का इस तरह लापता होना भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह मामला न सिर्फ आर्थिक अपराधों की गहराई को दिखाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलता को भी उजागर करता है।
