काबुल, 3 नवंबर 2025।
अफगानिस्तान में सोमवार तड़के 6.3 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे देश के उत्तरी हिस्सों में भारी तबाही मच गई।
यह झटका मजार-ए-शरीफ और खुल्म शहर के बीच दर्ज किया गया।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप की गहराई 23 किलोमीटर थी और यह स्थानीय समयानुसार रात 1 बजे आया।
भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोग नींद से जागकर घरों से बाहर निकल आए। कई जगहों पर दीवारें गिर गईं और पुराने मकानों में दरारें आ गईं।

💔 भूकंप में अब तक 7 की मौत, 150 से ज्यादा घायल
समनगन प्रांत के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता समीम जॉयंदा ने बताया कि,
“अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से अधिक घायल अस्पतालों में भर्ती हैं।”
उन्होंने कहा कि घायलों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि कई लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं।
अफगानिस्तान की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा कि नुकसान और हताहतों का पूरा आकलन अभी किया जा रहा है।
📹 सोशल मीडिया पर वायरल हुईं दर्दनाक तस्वीरें
सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे वीडियो में राहतकर्मी मलबे में फंसे लोगों को निकालते नजर आ रहे हैं।
कई घरों की छतें और दीवारें गिर गई हैं। एक वीडियो में राहत दल को मृतकों के शव निकालते हुए भी देखा जा सकता है।
हालांकि, इन वीडियो की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है।
⚠️ USGS की चेतावनी
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने चेतावनी दी है कि
“यह भूकंप घातक साबित हो सकता है और इसका असर व्यापक हो सकता है। ऐसे अलर्ट स्तर वाले पिछले हादसों में राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रतिक्रिया की जरूरत पड़ी है।”
🕯️ हाल के वर्षों में बार-बार आया कहर
अफगानिस्तान पिछले कुछ वर्षों में कई घातक भूकंपों का सामना कर चुका है।
- अगस्त 2025 में आए 6.0 तीव्रता वाले भूकंप में 2,200 लोगों की मौत और 2,800 घायल हुए थे।
 - अक्टूबर 2023 में हेरात प्रांत में लगातार आए चार बड़े भूकंपों और आफ्टरशॉक्स से 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
 
इन घटनाओं ने अफगानिस्तान की नाजुक संरचनाओं और राहत तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है।
🕊️ लोगों में दहशत और भय
भूकंप के बाद मजार-ए-शरीफ और आस-पास के इलाकों में भय और दहशत का माहौल है।
लोग खुले मैदानों में रात बिता रहे हैं, जबकि राहत दल लगातार मलबा हटाने और फंसे लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।

💬 निष्कर्ष
Afghanistan earthquake ने एक बार फिर इस देश को झकझोर दिया है।
कमजोर बुनियादी ढांचा और सीमित संसाधन राहत कार्यों में बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और स्थानीय संगठनों से राहत सामग्री भेजने की अपील की गई है।
