बेंगलुरु, 3 नवंबर 2025 ISRO GSAT-7R launch।
भारत की अंतरिक्ष संस्था इसरो (ISRO) ने रविवार को देश का अब तक का सबसे भारी सैन्य संचार उपग्रह GSAT-7R सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रच दिया।
यह लॉन्च लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3-M5) के ज़रिए श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया।
4,410 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह भारतीय नौसेना की संचार क्षमता को पूरी तरह बदलने जा रहा है।
🌊 भारतीय नौसेना को मिलेगा ‘आंखों और कानों’ का नया विस्तार
GSAT-7R, जिसे CMS-03 भी कहा जाता है, भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है।
यह पुराना उपग्रह GSAT-7 (रुक्मिणी) की जगह लेगा, जिसे वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था।
नया उपग्रह भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) में मजबूत संचार और निगरानी नेटवर्क प्रदान करेगा।
नौसेना के अनुसार, यह उपग्रह वॉयस, डेटा और वीडियो संचार को कई बैंड्स में सक्षम बनाएगा — जिससे जहाज, पनडुब्बी, विमान और मरीन ऑपरेशन्स सेंटर एक-दूसरे से लगातार जुड़े रह सकेंगे।
🚀 लॉन्च की विशेषता और तकनीकी सफलता
इसरो ने GSAT-7R को एक विशेष sub-Geosynchronous Transfer Orbit (sub-GTO) में स्थापित किया, जिसकी ऊँचाई लगभग 26,700 किलोमीटर है।
यह लॉन्च LVM3 की पाँचवीं परिचालन उड़ान थी, जिसमें इसरो ने पहली बार क्रायोजेनिक अपर स्टेज (Cryogenic Upper Stage) को दोबारा प्रज्वलित (re-ignition) करने का प्रयोग सफलतापूर्वक किया।
UR Rao सैटेलाइट सेंटर के निदेशक एम. शंकरण ने बताया —
“इस उपग्रह में कई अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकें शामिल की गई हैं जैसे 1,200 लीटर प्रोपल्शन टैंक और फोल्डेबल एंटेना सिस्टम। सभी सिस्टम सामान्य रूप से काम कर रहे हैं और उपग्रह पूरी तरह स्वस्थ है।”
🛰️ ISRO की क्षमता में 10% की वृद्धि
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि इस मिशन के लिए LVM3 की प्रदर्शन क्षमता को 10% तक बढ़ाया गया।
उन्होंने कहा —
“हमने कठिन मौसम परिस्थितियों में यह सफलता हासिल की है। यह उपग्रह 15 साल की आयु वाला है और कई नई तकनीकों से लैस है।”
इस लॉन्च के साथ भारत ने साबित किया है कि वह अब 4,000 किलोग्राम से अधिक वजनी उपग्रह भी स्वदेशी प्रक्षेपण यान से भेज सकता है — जो पहले केवल विदेशी रॉकेट्स के जरिए संभव था।
🛡️ ‘आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक’ की दिशा में बड़ा कदम
GSAT-7R भारतीय रक्षा संचार प्रणाली को नई मजबूती देगा।
यह उपग्रह नौसेना की नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर (Network Centric Warfare) क्षमताओं को बढ़ाएगा, जिससे सीमित या कठिन परिस्थितियों में भी नौसेना के सभी संसाधन एकीकृत रहेंगे।
यह मिशन ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन की दिशा में भी एक बड़ा कदम है, क्योंकि इसमें प्रयुक्त ज़्यादातर उपकरण और तकनीकें भारत में ही विकसित की गई हैं।
💬 निष्कर्ष
इसरो का ISRO GSAT-7R launch सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष और रक्षा शक्ति का प्रतीक है।
यह उपग्रह आने वाले वर्षों में भारतीय नौसेना को न केवल समुद्री सीमाओं की रक्षा में मदद करेगा, बल्कि देश को अंतरिक्ष आधारित संचार क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाएगा।
