ISRO का ऐतिहासिक मिशन: आज LVM-3 से लॉन्च होगा भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह GSAT-7R, नौसेना की ताकत बढ़ेगी

श्रीहरिकोटा, 2 नवंबर 2025 | संवाददाता:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज शाम 5:26 बजे लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM-3) से अपना अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह GSAT-7R (CMS-03) अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है। यह मिशन न केवल इसरो की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन है, बल्कि भारत की समुद्री रक्षा शक्ति को नई दिशा देने वाला कदम भी है।


🔸 भारतीय नौसेना के लिए ‘आसमान से आंखें’

GSAT-7R, जिसे CMS-03 भी कहा जाता है, भारतीय नौसेना के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है। यह उपग्रह 2013 में लॉन्च हुए GSAT-7 (रुक्मिणी) की जगह लेगा।
इससे नौसेना को युद्धपोतों, पनडुब्बियों, विमानों और तटीय कमांड सेंटर्स के बीच रियल-टाइम, सुरक्षित वॉयस, वीडियो और डेटा ट्रांसमिशन की सुविधा मिलेगी।

रक्षा मंत्रालय द्वारा ₹1,589 करोड़ की लागत से वित्तपोषित यह परियोजना भारत की नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमता (network-centric warfare) को अत्याधुनिक स्तर तक पहुंचाएगी।


🔸 LVM-3 का नया मिशन — रिकॉर्ड भार वाला प्रक्षेपण

अब तक LVM-3 ने 4,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेजा है। लेकिन GSAT-7R का भार 4,410 किलोग्राम है — जो इसरो की क्षमता से थोड़ा अधिक है।
फिर भी इसरो ने एक नया रणनीतिक तरीका अपनाया है। इस बार उपग्रह को पूर्ण GTO की बजाय सब-GTO (170 km x 29,970 km) में स्थापित किया जाएगा।

इसके बाद उपग्रह में मौजूद लिक्विड एपोजी मोटर (LAM) कई चरणों में खुद अपनी कक्षा ऊँची करेगा — ताकि धीरे-धीरे यह अपनी अंतिम जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (36,000 किमी) में पहुँच जाए।

यह प्रक्रिया लगभग 4 से 7 दिन तक चलेगी, जबकि उपग्रह को पूरी तरह चालू होने में 4-5 सप्ताह का समय लगेगा।


🔸 इसरो की तकनीकी रणनीति — “कम ईंधन, अधिक ऊँचाई”

इस मिशन में इसरो ने “स्मार्ट ऑर्बिटल अप्रोच” अपनाई है। यानी कम ऊर्जा खर्च करते हुए उपग्रह को पहले एक एलिप्टिकल ऑर्बिट में रखा जाएगा, और फिर धीरे-धीरे उसकी ऊँचाई बढ़ाई जाएगी।
इस पद्धति का उपयोग इसरो पहले GSAT-19 और GSAT-29 जैसे मिशनों में भी कर चुका है।

इसरो ने हाल ही में अपने CE-20 क्रायोजेनिक इंजन को भी अपग्रेड किया है, जो अब 21.8 टन थ्रस्ट पैदा करने में सक्षम है। यह तकनीक भविष्य में और भारी उपग्रहों के लिए रास्ता खोलेगी।


🔸 क्यों अहम है यह मिशन?

भारत की समुद्री सीमाएं और नौसेना की परिचालन जरूरतें दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं। ऐसे में ISRO GSAT-7R launch भारतीय नौसेना को “अपनी संचार प्रणाली पर पूर्ण नियंत्रण” देगा — जिससे बाहरी नेटवर्क पर निर्भरता समाप्त होगी।
यह उपग्रह भारत के लिए न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि रणनीतिक सुरक्षा का नया कवच भी है।

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