रायपुर, 1 नवंबर 2025:
लाल मिट्टी के बस्तर से लेकर नवा रायपुर के चमकते आसमान तक, छत्तीसगढ़ की 25 साल की विकास यात्रा एक ऐसे राज्य की कहानी है जो दृष्टि, धैर्य और परिवर्तन से बना — एक ऐसा प्रदेश जिसने खनिजों की पहचान से निकलकर मानवीय और आर्थिक प्रगति का प्रतीक बनने की राह तय की।
अटल बिहारी वाजपेयी – दृष्टि के निर्माता
जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया, तो उन्होंने इसे “संघीय कुशलता” का प्रयोग बताया — एक छोटा, चुस्त और जनकेंद्रित राज्य जो तेजी से शासन और विकास दे सके।
आज उनका वह सपना साकार दिखाई देता है। राज्य की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) कई गुना बढ़ी है, प्रति व्यक्ति आय 1.63 लाख रुपये तक पहुँची है, और छत्तीसगढ़ देश के कोयले का 15% और इस्पात का 13% उत्पादन कर भारत की अर्थव्यवस्था को ऊर्जा दे रहा है।
अजीत जोगी – नींव के निर्माता
राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने महज़ कुछ संसाधनों और अटूट संकल्प के साथ शासन की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने 27 जिले, 146 ब्लॉक और पूरी प्रशासनिक मशीनरी शून्य से खड़ी की।
उनकी औद्योगिक और खनन नीतियों ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक रीढ़ को आकार दिया। साथ ही CSVTU और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय को उद्योगों से जोड़कर उन्होंने बौद्धिक विकास की नींव रखी।
डॉ. रमन सिंह – स्थिरता के शिल्पकार
रमन सिंह के कार्यकाल ने छत्तीसगढ़ को स्थिरता और दिशा दी।
उनके नेतृत्व में हर गाँव तक बिजली पहुँची, PDS सुधार देश के मॉडल बने, और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना ने लाखों परिवारों को सुरक्षा दी।
700 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 6 मेडिकल कॉलेजों के निर्माण से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति आई। उन्होंने शासन को स्थायित्व का नया ढाँचा दिया।
भूपेश बघेल – पहचान के संवाहक
भूपेश बघेल ने राज्य को सांस्कृतिक स्वाभिमान और ग्रामीण सशक्तिकरण का चेहरा दिया।
उनकी धान खरीदी नीति और गोठान आधारित गोधन न्याय योजना ने किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।
वन उत्पादों की प्रोसेसिंग और MSP नेटवर्क के विस्तार से हजारों आदिवासी परिवारों को स्थायी आय मिली। IIM रायपुर, HNLU, और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं ने छत्तीसगढ़ को बौद्धिक पहचान दिलाई।
विष्णु देव साय – भविष्य के निर्माता
वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ के अगले अध्याय की रचना ‘अनजोर विजन 2047’ के तहत कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है — खनिज आधारित अर्थव्यवस्था से नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना।
नवा रायपुर अटल नगर अब विकास का केंद्र बन चुका है — जहाँ AI डेटा सेंटर, सेमीकंडक्टर पार्क, और मेडिसिटी जैसी परियोजनाएँ छत्तीसगढ़ को डिजिटल और हरित ऊर्जा हब बना रही हैं।
बस्तर, जो कभी नक्सल हिंसा का केंद्र था, अब ‘नियाड़ नेल्ला नार’ (हमारा गाँव हमारा घर) जैसी योजनाओं से बदल रहा है। 327 गाँवों में सड़कें, स्वास्थ्य केंद्र और 80,000 से अधिक लोगों को आधार सुविधा मिली है। इस वर्ष 200 से ज्यादा नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। भय की जगह विश्वास का युग लौट रहा है।
आगे की राह – विकास से वैभव तक
अब छत्तीसगढ़ को अगले चरण में खनिज निर्भरता घटाकर विनिर्माण, IT और सेवा क्षेत्र में विविधता लानी होगी।
उच्च शिक्षा में नामांकन दर (GER) अभी राष्ट्रीय औसत से नीचे है — इसे सुधारने के लिए रायपुर-दुर्ग से आगे नए विश्वविद्यालय और स्किल हब्स स्थापित करने होंगे।
बिलासपुर, रायगढ़ और कोरबा जैसे शहरों को सतत शहरी विकास मॉडल बनाना होगा। वहीं वन क्षेत्रों में सिंचाई, यंत्रीकृत खेती और बाज़ार से जुड़ाव पर ध्यान देना होगा।
निजी निवेश को भी अब सिर्फ खनिजों में नहीं, बल्कि मानव संसाधन और नवाचार में गहराई तक उतरना होगा।
