दुर्ग, 29 अक्टूबर 2025/
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक संवेदनशील मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। Chhattisgarh High Court missing husband pension केस में कोर्ट ने उस पत्नी को राहत दी है, जिसका पति वर्ष 2010 से लापता है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि पत्नी को सीसीएस (पेंशन) नियमों के तहत पेंशन और अन्य सेवा लाभ दिए जाएं।
यह मामला भिलाई स्टील प्लांट (BSP) के एक कर्मचारी विकास से जुड़ा है। वे सेल (SAIL) के अधीन एक वरिष्ठ तकनीशियन (इलेक्ट्रिकल) थे। वर्ष 2010 में वे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और 14 जनवरी 2010 को अचानक लापता हो गए। उनकी पत्नी ने उसी दिन एफआईआर दर्ज कराई और 18 फरवरी 2010 को अखबार में लापता सूचना प्रकाशित की।
इसके बावजूद, भिलाई स्टील प्लांट ने विकास के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी। कंपनी ने चार्जशीट जारी की और सुनवाई के नोटिस नोटिस बोर्ड पर चिपकाए। विकास के नहीं मिलने पर एकतरफा (ex parte) कार्यवाही कर 17 सितंबर 2011 को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया और परिवार को क्वार्टर खाली करने का आदेश दिया गया।
पत्नी ने इस फैसले को चुनौती दी। मामला सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) पहुँचा, जिसने BSP के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि कंपनी को पत्नी को सभी लाभ देने होंगे। इसके बाद SAIL/BSP ने इस आदेश को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी।
🏛️ हाईकोर्ट का फैसला
22 सितंबर 2025 को जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने CAT के आदेश को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि चूंकि विकास वर्ष 2010 से लापता हैं और सात साल से अधिक समय बीत चुका है, इसलिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 108 के तहत उन्हें मृत माना जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में पत्नी को सभी सेवाकालीन लाभ, परिवार पेंशन, ग्रेच्युटी और लीव एन्कैशमेंट का अधिकार है। यह लाभ सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 के तहत मिलेगा।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी परिस्थितियों में स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 34 के तहत अलग से मृत्यु की घोषणा की आवश्यकता नहीं होती।
📜 कानूनी संदर्भ और उद्धरण
कोर्ट ने अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के रामरती कुवर (AIR 1967 SC 1134) और कलकत्ता हाईकोर्ट के तारा देवी बनाम बैंक ऑफ इंडिया (2024 SCC OnLine Cal 5549) मामलों का हवाला दिया। दोनों मामलों में सात साल तक किसी व्यक्ति के बारे में सूचना न मिलने पर मृत घोषित करने की कानूनी मान्यता दी गई थी।
💬 संवेदनात्मक पहलू
कोर्ट ने कहा कि जब कोई कर्मचारी लापता हो जाए, तो उसकी पत्नी और परिवार की आर्थिक निर्भरता समाप्त नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में कंपनी को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
यह फैसला उन सैकड़ों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है, जिनके सदस्य वर्षों से लापता हैं और उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिल रही।
