छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा असर: 66 लाख के इनामी 51 माओवादी आत्मसमर्पण, बस्तर में लौट रहा है विश्वास और विकास

रायपुर, 29 अक्टूबर 2025 — छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 और नियद नेल्ला नार योजना के लागू होने के बाद बस्तर अंचल में एक नई उम्मीद की किरण जगी है। इन योजनाओं ने माओवाद की हिंसक विचारधारा से जुड़े युवाओं में विश्वास और पुनर्जन्म की भावना पैदा की है। अब वे विकास की मुख्यधारा में लौटकर अपने जीवन को नई दिशा दे रहे हैं।

💪 66 लाख के इनामी 51 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि बीजापुर जिले में “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्ज़ीवन” अभियान के तहत आज ₹66 लाख के इनामी 51 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। इन सभी ने संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आस्था जताते हुए सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।

साय ने कहा कि यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि बस्तर भय और हिंसा के दौर से बाहर निकलकर शांति, विश्वास और विकास की दिशा में अग्रसर है।

🕊️ संवाद और पुनर्वास से नक्सलवाद पर चोट

मुख्यमंत्री ने कहा,

“संवेदनशील नीतियाँ और मानवीय दृष्टिकोण ही इस परिवर्तन की असली ताकत हैं। सरकार का मानना है कि हिंसा का अंत केवल संवाद और पुनर्वास से ही संभव है।”

उन्होंने यह भी कहा कि इन योजनाओं के कारण माओवादियों में अब यह भरोसा पैदा हुआ है कि सरकार उन्हें मुख्यधारा में लौटने का अवसर और सम्मानजनक जीवन देगी।

🌍 नक्सल मुक्त भारत की ओर बढ़ता छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में नक्सलवाद उन्मूलन के प्रयासों को निर्णायक बताया।
उन्होंने कहा कि “देश अब नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है और छत्तीसगढ़ इस अभियान का केंद्र बन गया है।”

🙌 जनता से अपील: “शांति और विकास की यात्रा में बनें सहभागी”

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग इस परिवर्तन के साक्षी बनें और इसमें भागीदार बनें।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि छत्तीसगढ़ का हर गाँव शांति, प्रगति और समरसता का प्रतीक बने।

🌱 उम्मीद की नई सुबह

बस्तर के जंगलों से उठती यह खबर अब सिर्फ आतंक की नहीं, बल्कि उम्मीद और बदलाव की कहानी है।
Chhattisgarh Maoist surrender under rehabilitation policy के तहत हो रहे ये आत्मसमर्पण साबित कर रहे हैं कि जब नीति में संवेदनशीलता और विश्वास जुड़ जाए, तो असंभव भी संभव हो जाता है।

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