अंबाला, 29 अक्टूबर 2025 — भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने बुधवार को राफेल लड़ाकू विमान (Rafale jet) में उड़ान भरकर एक नया इतिहास रच दिया।
वे ऐसा करने वाली पहली भारतीय राष्ट्रपति बनीं जिन्होंने भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के दो अलग-अलग लड़ाकू विमानों में उड़ान का अनुभव लिया — पहले सुखोई-30 MKI और अब राफेल।
✈️ “यह अविस्मरणीय अनुभव है” — राष्ट्रपति मुर्मू
अंबाला वायुसेना स्टेशन से राष्ट्रपति ने ग्रुप कैप्टन अमित गहानी, कमांडिंग ऑफिसर, 17 स्क्वाड्रन “गोल्डन एरो” के साथ उड़ान भरी।
उड़ान सुबह 11:27 बजे शुरू हुई और लगभग 30 मिनट तक चली। इस दौरान विमान ने करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय की और 15,000 फीट की ऊंचाई पर 700 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरी।
राष्ट्रपति मुर्मू ने फ्लाइट के बाद आगंतुक पुस्तिका में लिखा,
“राफेल में उड़ान मेरे लिए अविस्मरणीय अनुभव रहा। इस उड़ान ने मुझे भारत की रक्षा क्षमता पर नया गर्व और विश्वास दिया। मैं भारतीय वायुसेना को हार्दिक बधाई देती हूं।”
👩✈️ शिवांगी सिंह संग मुलाकात
उड़ान से पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने देश की पहली महिला राफेल पायलट स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह से भी भेंट की।
शिवांगी सिंह ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) में हिस्सा लिया था, जिसमें राफेल विमानों ने आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था।
राष्ट्रपति ने जी-सूट और धूप के चश्मे में मुस्कुराते हुए ‘थम्ब्स अप’ का इशारा किया — जो भारत की आधुनिक सैन्य शक्ति और महिला सशक्तिकरण की झलक पेश कर रहा था।
🇮🇳 इतिहास में नया अध्याय
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (2006) और प्रतिभा पाटिल (2009) ने सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी।
अब राष्ट्रपति मुर्मू का यह कदम भारतीय वायुसेना की परंपरा को और ऊंचाई देता है।
⚔️ राफेल की शक्ति और गौरव
राफेल लड़ाकू विमान, फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) द्वारा निर्मित है और इसे 2020 में अंबाला एयरबेस पर 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ में शामिल किया गया था।
पहले पाँच राफेल विमान जुलाई 2020 में फ्रांस से भारत पहुंचे थे।
President Droupadi Murmu Rafale flight न केवल एक ऐतिहासिक प्रतीक है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति की मजबूती का भी संदेश देता है।
🎖️ गौरव और प्रेरणा का क्षण
राष्ट्रपति के आगमन पर अंबाला एयरबेस में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
उनकी यह उड़ान न सिर्फ रक्षा बलों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का संदेश भी है कि भारत अब हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है।
