Ambikapur Chhath Puja 2025 : सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा आज सीमाओं को पार कर विश्वभर में आस्था की नई मिसाल बन गया है। अंबिकापुर में इस समय माहौल बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की गलियों जैसा दिखाई दे रहा है। घाटों की सफाई, व्रतियों की तैयारियां और घर-घर में गूंजते छठ गीतों ने पूरे शहर को भक्ति और उल्लास से भर दिया है।
स्थानीय निवासी अभिषेक शुक्ला ने बताया कि छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक पूजा उत्सव है। यह पर्व पंचतत्वों — सूर्य, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी — की आराधना का प्रतीक है। मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाना, नदी या तालाब के जल में अर्घ्य देना और गन्ने की स्थापना करना प्रकृति के प्रति श्रद्धा और आभार का सुंदर प्रतीक है।
अभिषेक ने बताया कि छठ पर्व का आरंभ त्रेता युग में माता सीता ने किया था, जबकि द्वापर युग में मां द्रौपदी ने इसे सम्पन्न किया। कलियुग में राजा प्रियव्रत ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया, जो आज भी निरंतर चल रही है। उन्होंने कहा कि छठ की शुरुआत बिहार के मुंगेर से हुई थी, और अब यह अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी भारतीय प्रवासियों द्वारा श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।
छठ पूजा में शाम को डूबते सूर्य और सुबह उगते सूर्य की पूजा की जाती है, जो प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और संतुलन का संदेश देता है। अभिषेक शुक्ला के अनुसार, “छठ हमारी संस्कृति का जीवंत पाठ है। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति से जो भी मिले, उसके प्रति आभार व्यक्त करें।”
अंबिकापुर और सरगुजा में आज छठ पूजा सिर्फ बिहारियों का नहीं, बल्कि सभी समुदायों का साझा पर्व बन चुका है। घाटों पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुट रहे हैं और सूर्यदेव से परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
